AISA KYA LIKH DOON KI TU LAUT AYE || KEERTY ||

Poetry Details

AISA KYA LIKH DOON KI TU LAUT AYE || KEERTY ||–इस पोस्ट में कुछ सुंदर कविताए KEERTY द्वार लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है,MORPANKH यु टयुब चैनल पर ये उपलब्ध है।

जेब की खनक सुनकर ख्वाहिशों को मरते देखा है
मैंने सपनों को ऊंचाइयों से कई दफा डरते देखा है
जख्मों का मरहम से सिहरते देखा है
पैरों को रिक्शे का किराया भरते देखा है
रात में आंसुओं को बिखरते देखा है
खुद को सुबह मैंने फिर से निखरते देखा है
अस्वीकृति देखी है त्याग देखा है
खुद को बागी सा बाघ देखा है
नींदो को रातों से डरते देखा है
मैंने खुद को सपनों का कत्ल करते देखा है
समय को शुन्य से भी नीचे उतरते देखा है
मैंने खुद को कुछ ऐसे भी गुजरते देखा है


मैं गिर जाऊं अगर तो उ्ठा पाओगे?
इश्क बोहतो ने किया है तुम निभा पाओगे?
मैं गिर जाऊं अगर तो उठा पाओगे?
इश्क बोहतो ने किया है तुम निभा पाओगे?
मुझे यहा रह कर तुमसे प्यार नही करना है
इज़हार करना है,लेकिन बेशुमार नही करना है
यहां मिलने पर पाबंदी है जात पात का रोना है
ओझल होती रातें हैं बे बात इश्क का खोना है
जलने वालों की बातें हैं धुंधले होते नाते हैं
चल कहीं दूर चलते है,जहा बंदिशे बहोत ढीली होगी
जहा बारिशे थोडी ज्यादा गीली होगी
जहा का आफताब बेहद गेहरा होगा और समय बेवजह ही ठेहरा होगा
जहा आंखें नम हो गई और बातें भी हद कम होंगी
जहां आसमां गुलाबी का छाया होगा तेरे चेहरे पर मेरी जुल्फ का साया होगा
इस पार ना सही,उस पार तो पा लूंगी तुझे,
उस जहां में तुझे किसी से छुपाना नही पडेगा
इश्क बेइंतहा होगा लेकिन बताना नहीं पड़ेगा
हाथ छूटा अगर तो साथ गवाना नही पडेगा
साथ ना रहा अगर तू,तो इश्क भुलाना नही पडेगा
इस जहां में प्यार को हालात मार जाते हैं
आशिक मजनू हो या फिर कुंदन अक्सर हार जाते हैं
कुछ चंद झगड़ों के पीछे यहां रिश्ते भुला देते हैं लोग
सालों के प्यार को पल भर में जला देते हैं लोगों
इक पल में अपना और इक पल में गैर करते है लोग
रोकने की जिद भी नहीं करते और खोने से डरते हैं लोग
तो चलना कही दूर चलते हैं
जहां मिलना केवल ख्वाब ना लगे
प्यार बाजारों में बिकता कोई राग ना लगे
जहा रूहो का मिलन हो,ना बद्दुआ हो,ना जलन हो
जहां प्यार के बीच में धर्म ना आये
सरेआम माथा चूमू तेरा,तो लोगो को शर्म ना आये
जहा खोने पाने का हिसाब ना हो
एक हो जाना सिर्फ किस्सा या किताब ना हो
चलना ना,कहीं दूर चलते हैं

 

सच है कि जिंदगी अधूरी बहुत है
छूट गया वो शख्स जो जरूरी बहुत है
ऐसा क्या लिख दूं कि तू लौट आये
समुंदर को किनारा लिख दूं
इश्क में तुम्हे हमारा लिख दूं
खुद को झूठा,तुम्हे सच्चा लिख दूं
या खुद को कान का कच्चा लिख दूं
आज बातें आधी आधी लिख दूं
सच से थोडी ज्यादा लिख दूं
रातों वाला वादा लिख दूं
या तुम को तुम से ज्यादा लिख दूं
कित्ती आसां ना होती जिंदगी
अगर सच में लिखने से कोई लौट आता
पर अफसोस लिख देने भर से केवल
किताबो में इश्क मुकम्मल है,असलियत में नही
तो बोलना……ऐसा क्या लिख दूं,कि लौट आये
वो खाई कसमें सारी लिख दूं या माफी बारी-बारी लिख दूं
सोच से परे कोई ख्वाव लिख दूं या सौ में तुम्हे हजार लिख दूं
पुरानी यादे सारी लिख दूं या फिर से हम खुद को तुम्हारी लिख दूं
थोडा लिख दूं,ज्यादा लिख दूं खुद को तुझमें आधा लिख दूं
बोलना……ऐसा क्या लिख दूं,कि लौट आये
लेकिन सच यह भी है कि कलम सिर्फ इश्क को पूरा लिख सकती है
पूरा कर नही सकती
कलम इश्क को खुबसूरत लिख सकती है
लेकिन जख्म भर नही सकती
लेकिन सच यह भी है एक आशिक गिर सकता है टूट सकता है बिखर सकता है
लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ सकता है
जरूरी है हर उस काश का बोया जाना
क्योकि हारती उम्मीदो का पेड सूखता नही कभी

 


कभी अगर किसी को अपनी जिंदगी में वापस लाने से
या किसी की जिंदगी में लौट जाने से
आपको आपकी खुशियां वापस मिलती है
ना तो बेझिझक लौट जाओ या बेझिझक उस इंसान को जिंदगी में शामिल कर लो
लेकिन जहां से वह खुद की खुशियों और प्यार का आ जाए ना
तो अपनी खुशियों को पहले अहमियत देना
क्योंकि अगर प्यार सच में सच्चा होता तो
कभी भी खुशियों को दांव पर लगाने का सवाल नहीं करता

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