“Wo Khoobsurat” |Pallavi Mahajan | Palpoetry

Poetry Details

वो खुबसूरत बहुत खूबसूरत बहुत खूबसूरत
इतना ही देखा?
देखी नहीं उसकी आंखों में आई वो बदली कभी
जो आकर रुकी,जो बरसी नही
देख लेते उसे ग़र,तो तुम जानते
उसको सूरत से बढ़कर भी कुछ मानते
उसके चेहरे से आगे भी है वो कोई तुमने देखा नहीं
निरा जिस्म तो वो,नहीं थी कभी
तुम्हें क्यों लगा ?धड़कता था दिल, तुमने समझा नहीं
या बस युं हुआ तुमने सब जानकर उसका सच मानकर
उसको झूठला दिया और बस ये कहा
वो खूबसूरत बहुत खूबसूरत बहुत खूबसूरत !!!

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