Jaagir || by Sahil Kumar ||

Poetry Details

Jaagir || by Sahil Kumar ||- इस कविता का शीर्षक ‘Jaagir’ है ,इसे Sahil Kumar के द्वारा लिखा गया है और प्रस्तुत भी किया गया है ।

देखो हम ‘र’ को ‘ड़’ बोलेगे
पर तुम इसे हमरी लाचारी मत कहना
बिहार के है हम पर हमको ‘बिहारी’ मत कहना
क्योंकि समाज में ऐसा फैला है बदहाली
बिहारी होना हो गया है गाली
और जानते हो ऐसा हम काहे कह रहे हैं?
क्योकि हम बिहारी होने का जिल्लत सह रहे है
और गरजे कोई समस्या है तो उसका निवारण नहीं है
तुम है हो बस इसका कोई दूजा कारण नही है
क्योंकि तुम ही हर बार इंसानियत को क्षेत्रियता के तराजू में तोलते हो
“मॉम डेड बिहार से थे,आय एम फ्रोम डेहली” बोलते हो
अब मो मो से तुम्हारे मुंह का स्वाद बढता है
और लिट्टी चोखा से नाक चढता है
लहजे पाक को तुमने,नापाक कर दिया
अदब के “भैया जी ” को तुमने मजाक कर दिया
मै तुमको कह रहा हुं,तो सोचोगे तुम्हरी खता क्या है ?
बोल देते हो मजाक में,बिहारी कौन होता है?
तुम को पता क्या है?
आज मै आई एस की बात नही करुंगा
गणित को तो छोड़ दो,ना ये कहुंगा
कितने ऊंचे पदो पर हमारी हिस्सेदारी है?
बस कोशिश करुंगा तुमको ये समझाने की
के होता कौन एक बिहारी है?
जो हर सूरत बदल दे वो ‘दिनकर रामधारी’ है
जो पलक चीर दे वो ‘मांझी’ की जिद और खुमारी है
जो सत्ता हिला दे वो ‘जय प्रकाश’ क्रांतिकारी है
जो संसद चला दे ‘राजेंद्र प्रसाद’ की समझदारी है
जो बदल दे गणित को वो ‘आर्यभट्ट’ व्यभिचारी है
जो क्षीण कर दे नभ को ‘कुंवर सिंह’ की तलवार तेजधारी है
जो कर दे पावन की शहनाई से ‘विस्मिलाह खां ‘ की धुन वो प्यारी है
इम्तियाज़,शत्रुघ्न,मीका,सुशांत ये सब की कलाकारी है
अब रुक जाता हुँ,क्योकि ये लंबी लिस्ट अभी भी जारी है
और अभी भी दिल में कोई खलिस हो,तो गल्ती तुम्हारी है
क्योकि तुम्हारे लिये हरियाणा वाले सट्टा चलाते है
यू पी वाले कट्टा चलाते है,साउथ वालो के ‘यम’ ‘यन’ से तुम्हे आपत्ति है
अपनी ही देश की भाषाओ पे तुम्हे विपत्ति है
सबको देश द्रोही बोल देते हो,तुम्हे रोके भला किसकी मजाल है?
अपने ही देश के उत्तर पूर्वी लोग तुमको लगते “चाइना का माल ” है
अब इसको तुम नजर अंदाज मत करो,अपने जमीर को नाराज मत करो
क्योकि तुम्हारे ख्वाब की कोई ताबीर नही है
ये देश सबका है,किसी के बाप की जागीर नही है

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