Gulon Mein Rang Bhare गुलों में रंग भरे-Shilpa Rao

Poetry Details:-

Gulon Mein Rang Bhare- गुलों में रंग भरे –इस गज़ल को लिखा है Faiz Ahmad Faiz ने और इसे स्वर वद्ध Shilpa Rao जी किया है। इस प्रस्तुति मे कुछ ही शेर पेश किये गये है,बाकि पूरी गज़ल को आपके लिये दिया गया है।

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ
हमारे अश्क तेरे आकेबत सँवार चले

मकाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जँचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले

कभी तो सुबह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्कबार चले

बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल गरीब सही
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़म-गुसार चले

हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब
गिरह में ले के गिरेबाँ का तार तार चले

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