Baat karni mujhe mushkil -बात करनी मुझे मुश्किल -Gayathri Asokan

Poetry Details:-

Baat karni mujhe mushkil -बात करनी मुझे मुश्किल –इस गज़ल को लिखा है Bahadur Shah Zafar ने और इसे स्वर वद्ध Gayathri Asokan जी किया है। इस प्रस्तुति मे कुछ ही शेर पेश किये गये है,बाकि पूरी गज़ल को आपके लिये दिया गया है।

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी

उनकी आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी

चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन
जैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी

पा-ए-कूबाँ कोई ज़िंदा में नया है मजनू
आती आवाज़ से लासिर? कभी ऐसी तो न थी

क्या सबब तू जो बिगड़ता है ‘ज़रर’ से हर बार
कूँ तेरी हूर-ए-शिमागिल कभी ऐसी तो न थी

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