GALE LAGAKAR ROYA USKE GALE KA NISHAAN DEKHKAR | AMRITESH JHA | VOICE OF SURAT

Poetry Detail

GALE LAGAKAR ROYA USKE GALE KA NISHAAN DEKHKAR | AMRITESH JHA | VOICE OF SURAT |- इस पोस्ट मे कुछ शायरी और कविता प्रस्तुत की गयी है जिन्हे लिखा और प्रस्तुत AMRITESH JHA ने किया है।

कही की नमकीन तो कही की मिठाई मशहूर है
मेरे शहर में इश्क बिकता है,यहाँ की बेवफाई मशहूर है


वो गया तो फिर लौट कर आना भूल गया
शायद वो परिंदा अपना आशियाना भूल गया
किसी से मोहब्बत ना होती तो अच्छा होता
एक अच्छा खासा शख्स मुस्कुराना भूल गया


वो मुझे “ए जी” “ओ जी” कह कर पुकारा करती थी
या तो फिर झुमका हिला कर इशारा करती थी
मैं पागल था मुझे सिर्फ उसके वक्त से मतलब था
और वो पागल सिर्फ अपना वक्त गुजारा करती थी


वो नाजुक से रिशते थे,जो हमसे संभाले नही गये
इश्क से जले थे हम सो अब तक छाले नही गये
एक हम है जिसे जेहन तक से निकाल फेंका उसने
और एक उसके गुलाब मेरी किताबो से कभी निकाले नही गये


यहाँ जो भी मिलेगा बेवफा मिलेगा
इश्क के बाजार में और क्या मिलेगा?
वफा लेकर आये हो तो फिर लौट जाओ साहिब
यहाँ वफा के बदले थोडी ही ना वफा मिलेगा


किसी ने तोड़ा तो तोड़ा,बड़े सलीके से तोड़ा
किसी ने पत्थर के दिल को शीशे से तोड़ा
किसी ने दिल के टुकड़ो को अच्छे से रखा
किसी ने दिल के टुकड़ो को अच्छे से तोड़ा
किसी ने महफिल मे आकर,दिल से लगाया
किसी ने महफिल मे आकर,दिलो को तोड़ा
किसी ने फूलो की हिफ़ाजत में पत्थर को रखा
किसी ने पत्थर की खातिर फूलो को तोड़ा


मैं हैरान था उस शख्स को हैरान देखकर
गले लगा कर रोया उसके गले का निशान देख कर
वो एक अकेला परिंदा था मेरे दिल के पिंजरे में
दिल खोला तो उड़ गया आसमान देखकर
मै उसे ना देखू तो परेशान रहता हुँ
वो खुश रहती है,मुझे परेशान देखकर
उसको जाते हुये इसलिये भी नही रोका मैने
परिंदे तो उड़ ही जाते है,इंसान देखकर

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