TAKIYE KI DEEWAR AANA NA TUM IS PAAR-KANHA KAMBOJ -इस पोस्ट मे कुछ कविताये प्रस्तुत की गयी है जो कि KANHA KAMBOJ के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है।
बर्फ के ग्लेशियर से भी वो लड़की रख दे पानी गुनगुना निकाल कर
मै वही हार गया जब मुस्कुरा कर उसने चाल घोड़े की चल दी प्यादा निकाल कर
घर की औरत पर उतार रख दिया उसने,घर से बाहर का भी गुस्सा निकाल कर
इन ताशो मे तो और भी जोकर है वो बोली गड्डी से गुल्ला निकाल कर
जब जब ख्याल कोई गंदा सोचा है ,तस्वीर तेरी ही देखी बटुआ निकाल कर
हर बार फूट जाता मगर वो बच्चा, खुश बहुत होता बुलबुला निकाल कर
जो सुनेगे उन्ही से पूछूंगा कोई गलती तो नही कर दी मतला निकाल कर
हर बार इक नया बहाना है आपको इस बार भी नही आना है
मै इस साल भी इंतजार करूंगा ,आपको बस भरोसा दिलाना है
तकिये की दीवार बना कर कहता था,देखो तुम्हे इस पार नही आना है
माँ ने कहा उसकी हरकते भी वैसी है,वो लड़का जिसका नाम भी “कान्हा” है
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