TABAH KAR DETI HAI MOHABBAT | GOONJ CHAND | POETRY

Poetry Details

TABAH KAR DETI HAI MOHABBAT | GOONJ CHAND | –इस पोस्ट में जो कविता प्रस्तुत की गयी है ,जो कि GOONJ CHAND द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।

हाथ में दर्द लिये गमो के पन्ने बिछा उन पर अपने जज्बात लिखती हुँ,
जी हां मैं वही हूं जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हुँ

कि कुछ इस तरह से मैंने उसका मान रखा है पुरानी यादों में जिंदा उसका प्यार रखा है
और कैसे जला दूं मैं उसकी तस्वीरो को भला मैने तो उसकी आधी जली सिगरेट को संभाल रखा है

इनकार के डर से वो इजहार नहीं करती,प्यार तो करती है मगर इकरार नहीं करती है
और जब से सुना है उस लड़के को सादगी पसंद है तब से एक लड़की सिंगार नहीं करती

रो देती हुँ अक्सर इसलिये मैं काजल नहीं लगाती ,इश्क के नाम पर मैं किसी को पागल नहीं बनाती
और यहां तबाह कर देते हैं लोग मोहब्बत के नाम पर,इसीलिये मैं अब किसी से दिल नही लगाती

उसकी छोटी सी वो काली बिंदी जो उसने नजर से बचाने डाली बिंदी
जो चाँद लगा था माथे पर जरा मुझे भी ला दो वो वाली बिंदी


मैं ढूंढती रही अपनी खुशियां उसमें,और वो जमाने के साथ हँसता रहा
मैने तीर ही शीर उसके लिये और वो किसी और के लिये मुशायरा पढ़ता रहा

माथे की शिकन को इस बिंदी से छुपा रखा है,होठों की खामोशी को हंसी पर ठहरा रखा है
सूनी आंखों में नजर ना जाए कहीं प्यार तेरा,इसीलिए आज मैंने इन में काजल लगा रखा है

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