Kya Baat Tumko Dara Rahi Hai -क्या बात तुमको डरा रही है-Pallavi Mahajan

Poerty Deatils:-

Kya Baat Tumko Dara Rahi Hai -क्या बात तुमको डरा रही है-ये कविता Pallavi Mahajan के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है। इस कविता मे जीवन मे आने वाली नकारत्मकता,असफलता से निराश लोगो की मनोदशा को बताया गया है,

किस बात से हो बोलो इतने खाइफ
क्या बात तुमको डरा रही है
क्या सोच कर इतना घबरा गये हो
क्यु नींद रातो मे ना आ रही है
तुम सोचते हो कि क्या बोलना है
तो छिप छिप के आँसू बहाते रहे हो
गयी रात भी तुम सोये नही हो
सुर्ख आँखे सब कुछ बता रही है
किसी गैर से तुम को अब ना गिला है
खुद पे हो भडके कि कुछ ना किया है
इल्जाम और्रो के सच मानकर
ये नजरे भी नीचे झुके जा रही है
कभी सोचते हो कि कुर्सी हो कैसी
कपडे की मजबूती तुम आँकते हो
पढते हो कैसे वो आसान होगा
सोचकर जिसको साँसे थमे जा रही है

किस बात से हो बोलो इतने खाइफ
क्या बात तुमको डरा रही है

कुछ भी किसी को बताते नही हो
सहते हो रहते सुनाते नही हो
ये सोच कर लोग क्या ही कहेगे
हसते तो हो मुस्कुराते नही हो
मेरी बात मानो किसी को बतादो
हसते तो हो मुस्कुराते नही हो
मेरी बात मानो किसी को बतादो
अपना ये दिल खोलो दिखा दो
फिर भी लगे कोई अपना नही है
तो मेरी तरह खुद को लिखना सिखा दो
चुप्पी तुमहारी मै पेहचानती हु
खामोश क्यो हो ये मै जानती हु
मगर माफ करना जो करने चले हो
उसे मसलो का ना हल मानती हु
वो टेबल पे शीशी वो हाथो मे रेजर
आखो मे आसू अजब सा बवंडर
करना नही है तो क्यो कर रहे हो
जीना हो चाहते तो क्यो लड रहे हो
गर थक गये हो तो रुक जाओ थोडा
जीना हो चाहते तो क्यो लड रहे हो
गर थक गये हो तो रुक जाओ थोडा
खुद को मिटाकर भी क्या पाओगे
जब रुह देखेगी अपनो को रोता
ढ़ूढने सुकु को फिर कहा जाओगे
मुश्किल नही है खुद को मिटाना
मुश्किल है खुद से खुदी को बचाना
कुछ लोग तुम जैसा बनने चले है
सम्हल जाओ पेहले फिर उनको बचाना
वो जो तुम्हे दूर से देखते है
ना तुम सा कोई है जो ये मानते है
उनको क्या मालुम क्या तुम ने छुपाया
वो कुछ लोग सब कुछ नही जानते है

है ऐसे कुछ जो तुमहे चाहते है
वो,वो लोग है जो सब जानते है
है ऐसे कुछ जो तुमहे चाहते है
वो,वो लोग है जो सब जानते है
जरा गोर करके देखो और समझो
वो सब लोग तुमको क्या मानते है
उनको ये केहके ये जाना हो चाहते
कि तुम थक गये और लडना नही है
उनको ये केहके ये जाना हो चाहते
कि तुम थक गये और लडना नही है
तो जाओ मुझ से क्या ही रुकोगे
अपना तो फिर कोई रिशता नही है
इक काम कर दो उन्हे ये बतादो
कि तुम डर गये हो मगर ये गलत है
इक काम कर दो उन्हे ये बतादो
कि तुम डर गये हो मगर ये गलत है
मेरी बात समझो वो ये ना करले
उनकी भी बारी बस आ रही है
किस बात से हो बोलो इतने खाइफ
क्या बात तुमको डरा रही है
क्या सोच कर इतना घबरा गये हो
क्यु नींद रातो मे ना आ रही है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *