Kanha Kamboj की 15 बेहतरीन शायरी || Breakup Shayari || Heart Broken Shayari || Sad Shayari

Poetry Details

Kanha Kamboj की 15 बेहतरीन शायरी || Breakup Shayari || Heart Broken Shayari || Sad Shayari-इस पोस्ट मे कुछ शायरियाँ और गजले प्रस्तुत की गयी है जो कि DANISH RANA और KANHA KAMBOJ के लिखे है और उन्ही के द्वारा पेश किये गये है।

गिरा ले मुझे अपनी नजरों से कितना ही
झुकने पर तो मजबूर मै तुझे भी कर दूंगा
एक बार बदनाम करके तो देख मुझे महफिल में
कसम से शहर मे मशहूर मै तुझे भी कर दूंगा

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जो कभी जेहन तक में तस्लीम था वो नजरो तक से गिर गया है
वो बता रहा है हद मे रहो,जो अपनी हद से गुजर गया है
हिफाजत दुशमनो से तो कर लेते,कोई अपना दुशमनी पे उतर गया है
मेरे हक में जो दलीले थी फिजूल है अब,मेरा गवाह गवाही देने से मुकर गया है

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डर था स्याह रातो से मै पर उस चाँद से इश्क का चढ अब खुमार रहा था
इक रोज लिपट कर सोई थी वो गैर से, उस सर्द रात मुझे बहुत तेज बुखार रहा था
मालूम ना थी बेवफाई खुद के महबूब की, और मै शहर के हर घर मे बाँट अखबार रहा था

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सारी रात उसे छूने से डरता रहा,मै बेबस,बेचैन बस करवटें बदलता रहा
हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में,बस बात ये है कि जिक्र किसी ओर का चलता रहा

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वो मुझे भुलने की कोशिश बार बार कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी
वो मुझे प्यार करे या ना करे इस सोच की ऊँच नीच में
मिल गया होगा मेरा कोई पुराना खत अपनी किताब के बीच में
फिर पढ़ उस खत को सिरहने रखा मेरा दिया गुलदस्ता महक गया होगा
आज फिर देख ली होगी मेरी तस्वीर,ये मन बहक गया होगा
आज फिर वो मेरे कांधे पर सर रख वो सोने की आस कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी
आज फिर वो घर मे अकेली हो गयी होगी
या उसकी मम्मी आज फिर से जल्दी सो गयी होगी
वो मेरे फोन का इंतजार कर रही होगी
मेरा ‘Last seen’ चेक बार बार कर रही होगी
मेरी दी हुई पायल का शोर आज उसे परेशान कर रहा होगा
उसके जज्बातो से लिखा खत,आज उसे् ही बेजुबान कर रहा होगा
अपने आप को लाचार साबित वो बार बार कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी

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साँसे चलती है मगर बदन मे हरकत नही होती है, ये खुद को मार कर जीना कैसा है?
और ये शराब मुझे मीठी लगती है,ये बताओ जहर पीना कैसा है?
इस सर्द रात मे ना जाने वो किसका जिस्म ओढ रही है ?
इस सर्दी के मौसम मे मुझे ये पसीना कैसा है?

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मेरे गमो मे मेरी हिस्सेदार नही लगती
ये लड़की मेरी कहानी का किरदार नही लगती
उसकी फिक्र करूं तो हुकूमत बताती है
यार ये लड़की मुझे समझदार नही लगती
है जानना क्या? बताती है अपने घर मुझे
मगर मेरे घर से उसके घर की दीवार नही लगती
मै हकीकत जानता हुँ फिर भी छुपाती है बातें
मुँह पर झूठ बोलती है,यार ईमानदार नही लगती

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तु जरूरी है हर जरूरत को आजमाने के बाद
तू चलाना मर्जी अपनी मेरे मर जाने के बाद
है सितम ये भी के हम उसे चाहते है
वो भी इतना सितम ढाने के बाद
हो इजाजत तो तुझे छू कर देखूं
सुना है मरते नही तुझे हाथ लगाने के बाद
उसे रास्ते मे देखा तो मुस्कुरा दिया देखकर
बहुत रोया मगर घर जाने के बाद
है तौहीन मेरी जो तुम कर रही हो
आवाज उठायी नही जाती सर झुकाने के बाद
कितनी पागल है मुझे मेरे नाम से पुकार लिया
मुझे पहचान ने से मुकर जाने के बाद
मुझसे मिलने आओगी ये वादा करो
मुलाकात रकीब से हो जाने के बाद
वैसे हो बढ़े बदतमीज हो तुम ‘कान्हा’
किसी ने कहा अपनी हद से गुजर जाने के बाद

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उसके जज्बात मेरी हिचकियो से ये कहने लगे है
अभी वक्त लगेगा तुम्हारी याद आने मे, आजकल वो सुर्खियो मे रहने लगे है

 

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