Poetry Details:-
“Toota Khilona” – Nidhi Narwal-इस पोस्ट में जो कविता प्रस्तुत की गयी है वो Nidhi Narwal के द्वारा लिखी एवं पेश की गयी है,ये कविता UnErase Poetry यु टयुब चैनल पर उपलब्ध है।
मेरी एक तस्वीर है,लगभग पंद्रह साल पुरानी
मै छोटी सी नजर आती हुँ उसमे,छोटी चार साल की बच्ची
जिसके दोनो हाथो मे दो गुडिया है,जिनकी हालत बेहद बदतर
प्लासटिक की वो गुडिया,फटे से लिबास मे,बिगड़े जिनके बाल थे
टूटे फूटे जिनके हाल थे,उन्हे ट्रोफी की तरह ऊपर उठा कर
मै बिखरे हुये से छोटे बालो मे,मै हँस रही थी ,जोर जोर से खिल खिला कर
बड़े फक्र के साथ,जैसे जीत लिया हो मैने खो कर कुछ
दिखा रही थी माँ को अपने टूटे खिलौने
खिलौने जो मैने जिद्दी हो कर खरिदवाये
कुछ देर तो खेली उनसे,संभाल कर,प्यार से,आराम से
फिर तोड़ फोड कर टुकड़े उनके मैने पूरे घर मे बिखराये
पर उन टुकड़ो के बीच,मै पूरी थी ..खुश थी..
मेरा टूटा हुआ दिल क्यो ट्रोफी की तरह उठा नही पाती,दिखा नही पाती
मै माँ को बता नही पाती..क्युं?
इस बार तो जबकि मैने खुद इसे तोड़ भी नही
और बिखरे नही है टुकड़े इसके,सिमटे हुये है सीने में
चुभते है हर जगह जेहन मे,फटा फटा सा लिबास दिल का
कोई दिलचस्प नही इसे सीने मे …क्युं?
और लोग सवाल ही सवाल करते है
और सवाल भी बेमिसाल करते है
कहते है..दिल टूटा तुम्हारा है भी कभी..?
कोई तस्वीर ही नही..टूटे दिल के साथ मेरी क्युं..?
फिर अब मै क्या जबाब दूं?
देखो..दिल तो प्लास्टिक का नही है
दिल बाजार मे बिकता नही है ..
दिल रंग बिरंगा नही है ..
कागज की कश्ती या तिरंगा नही है
डब्बे मे पैक हो के नही आता
दिल चाबी से चलाया नही जाता
जान बसती है दिल मे..दिल युंही तो गुमाया नही जाता
तोड़ कर युं फर्श पर फैलाया तो नही जाता..
और दिल तोड़ने वाले मुस्कुराते है..दिल तोड़ कर..क्युं?
ना बाजारु था,ना उनका था,तो खोना नही था ना..!
वो तोड़ गये है क्युं दिल मेरा..दिल तो खिलौना नही था ना..!
दिल तो खिलौना नही था ना..!