Poetry Details
TUMHARE DULHE KO EK TAUHFA DENGE || MICKEY SINGH || VOICE OF SURAT-इस पोस्ट मे कुछ शायरी और कविता प्रस्तुत की गयी है जिन्हे लिखा और प्रस्तुत MICKEY SINGH ने किया है।
कह दो कितना ही खुदग़र्ज मुझे
पर जान कही ना कही इनायत तुम्हारी भी होगी
वो ऐसे ही नही उतार रहा तुम्हारे पहने हुये लिबास को
झूठ मत बोलो रिहायत तुम्हारी भी होगी
रकीब अकेला नही शामिल मेरी मोहब्बत के कत्ल में
पूछा जायेगा उससे तो शिकायत तुम्हारी भी होगी
प्यार से तो क्या तुमसे बात करने का भी दिल नही करता
बाकि लहजे मे अदब हम जानते है
घरवाले नही मानेगे,महज बहाने थे
तुम्हारा हम से जुदा होने का हर सबब जानते है
सुना है इक फरमाइश पर वो तुम्हारी पसंद का लँहगा लेकर आयेगा
अब तो तुम्हारा मुझे भूलना लाजमी लगता है,
जब वो शख्स हार गले का बहोत मँहगा लेकर आयेगा
चलो हमारी तरफ से भी ढेरो बद्दुआयें तुम्हे
मगर तुम्हारे दुल्हे को हम एक तोहफा बढा ही खूब देगे
ना चाहते हुये भी काटेंगे दिल अपना
और उसमे से निकाल कर अपनी महबूब देंगे
याद रखना तुम्हारे यार पर हमारा भी एक कर्जा रहेगा
विदा करेगा खुशी से अपनी साहिबा को,बदनसीब ताउम्र ये मिर्जा रहेगा
उसे कहो दिल तोड़ दे बेशक,मगर किसी गैर की महफिल में शिरकत नही करे
रुखसत होकर हमसे इन गली के भूखे भेड़ियो की हवस में बरकत ना करे
कुछ गलत हो गया तो हम सह नही पायेंगे,उसे कहो नाराज रहे
घिनौनी हरकत ना करे
ये जो मना रही हो साथ गैरो के,जान तुम्हे तुम्हारी जवानी मुबारक
हमारा क्या है?हमारी आँखो को गिरते हुये आँसुओ की रवानी मुबारक
पाक मुहब्बत का सारेआम कत्ल करके,तुम्हारी जिंदगी में आया हुआ सानी मुबारक
हमारा एहतराम तुम्हे रास नही आया,तुम्हे तो जिस्म के भूखो की छेड़खानी मुबारक
हमारी पहनाई गयी पायल उतार कर फेंक दी तुमने,
चलो रकीब के हाथो पायी गयी गले की गानी मुबारक
रूह से चाहने के भी तो काबिल नही तुम,तुम्हे तो प्यार जिस्मानी मुबारक
मेरे ज़्जबात बेचकर तुम्हारे गले पर उसकी दी हुई निशानी मुबारक
आखिर में इस आवारा रांझे को बुरे अंजाम से खत्म हुई कहानी मुबारक