MOHABBAT MEIN AISE NAHI CHALTA-मोहब्बत में तो ऐसे नही चलता-KANHA KAMBOJ

Poetry Details:-

MOHABBAT MEIN AISE NAHI CHALTA-मोहब्बत में तो ऐसे नही चलताइस पोस्ट मे दो गजले और शायरी है जो कि KANHA KAMBOJ के द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।

जैसे चलाता हुँ वैसे नही चलता
कैसे बताऊ उसे यार ऐसे नही चलता
खुद को मेरा साया बताता है
फिर क्यु तू मेरे जैसे नही चलता
मुझे खिलौना समझती हो तो ये बात भी सुन लो
अब ये खिलौना पहले जैसे नही चलता
दर्द,दिमाग,वार ये शायद जंग है
मेरी जान मोहब्बत में तो ऐसे नही चलता
और बस यही बाते है पूरी इस गजल मे कान्हा
कभी ऐसे नही चलता कभी वैसे नही चलता

 

जानता हुँ है यही हकीकत पर
भरोसा करना मुश्किल है हकीकत पर
चल ना रख हम से कोई वास्ता यार
तू सुन तो ले एक बार हकीकत पर
किसी और की कहानी से नही होती मुकम्मल गजले
मिंया यहाँ लिखना पड़ता है अपनी हकीकत पर
हर हकीकत की हकीकत यही है
झूठ भारी रहा है,हर हकीकत पर
जुंबा तो करती है लफ्जो से फरेब साहब
आँखे बयां कर देती है हकीकत पर
सब तो झूठ लिख रहे है कान्हा
तुमने ये क्या लिख डाला हकीकत पर


पलको ने बहुत समझाया मगर ये आँख नही मानी
दिन तो हँस कर गुजारा हमने मगर ये रात नही मानी
बिस्तर की सलवट दे रही थी गवाही गैर की
हमने करवट बदल ली मगर ये बात नही मानी

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