MEHFIL-E-SAYAR-DANISH RANA -KANHA KAMBOJ

Poetry Details:-

MEHFIL-E-SAYAR-DANISH RANA -KANHA KAMBOJ-इस पोस्ट मे कुछ शायरियाँ और गजले प्रस्तुत की गयी है जो कि DANISH RANA और KANHA KAMBOJ के लिखे है और उन्ही के द्वारा पेश किये गये है।

हिज्र में एक रात में ऐसे टाल देता हुँ
मै खुद को जैसे सदमे मे डाल देता हुँ
तेरे मासूम चेहरे पर एक नूर लगाना है
सो तेरे कानो मे माँ के झुमके डाल देता हुँ

इशक की इंतहा हो गयी या रब
शाम से सुबह हो गयी या रब
ये कौन मुझसे रूठ गया है
जिंदगी सजा हो गयी या रब

किसी शहर,किसी गली,किसी घर में रहो
किसी बेखबर ने कहाँ मगर खबर में रहो
बरसों से वीरान पड़ा है तो सलाह है तुम्हे
बनाओ इसमे आशियाँ दिल के घर मे रहो
वो तुम्हारी गजल से निकल जायेगी कान्हा
अशार लिखते हुये थोड़ा सबर मे रहो

चलो खेलो अब ये खेल दोबारा होगा
मगर इस दफा वो शख्स हमारा होगा
ऐसे कैसे सब रस्तो का उसे पता चला
जरूर तुम ही ने उसे दिल में उतारा होगा
जिसके बिना गुजरा नही एक लम्हा राणा
कैसे उस शख्स के बिना अब गुजारा होगा

हमने एक मशवरा ये सोच कर दिया
कुछ सोचेगा जरूर ये सोच कर दिया
मेरा दिल तो वैसे भी खिलौना है
उनका दिल बहल जायेगा,ये सोच कर दिया
अपना कहता है तो हिफाजत भी करेगा
तुम्हे हक जताने का हक भी ये सोच कर दिया
कैसे दे दिया दिल अपना बिना सोचे समझे
उन्होने धोखा भी ये सोच कर दिया

उंगलियाँ बहुत फिराता है वो आज कल बालों में
यकीनन मेरा ख्याल है उसके ख्यालो में
मुद्दत बाद लौटा है इशक का इक मुसाफिर
हाथ खाली है उसके उम्र उतरी है उसके बालो में
अरसो बाद उसने मेरा नाम लिया राणा
रंग आया है मेंहदी का हथेली पे कई सालो में

तु जरूरी है हर जरूरत को आजमाने के बाद
तू चलाना मर्जी अपनी मेरे मर जाने के बाद
है सितम ये भी के हम उसे चाहते है
वो भी इतना सितम ढाने के बाद
उसे रास्ते मे देखा तो मुस्कुरा दिया देखकर
बहुत रोया मगर घर जाने के बाद
कितनी पागल है मुझे मेरे नाम से पुकार लिया
मुझे पहचान ने से मुकर जाने के बाद
मुझसे मिलने आओगी ये वादा करो
मुलाकात रकीब से हो जाने के बाद
है तौहीन मेरी जो तुम कर रही हो
आवाज उठायी नही जाती सर झुकाने के बाद

दोस्त तेरा मै सब कहा मानता हुँ
मै भी तो कहाँ बुरा मानता हुँ
जबां चाशनी है हाथो मे खंजर है
दोस्त तुझे अच्छी तरह से जानता हुँ

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