KANHA AB TO BAN GYA HAI TUMHARA PAGAL-KANHA KAMBOJ

Poetry Details:-

KANHA AB TO BAN GYA HAI TUMHARA PAGAL-कान्हा अब तो बन गया है  तुम्हारा पागलइस कविता को KANHA KAMBOJ ने लिखा एवं प्रस्तुत लिया है।

देखो है कितना बेचारा पागल
दर बदर भटकता है बेसहारा पागल
एक बार को तो आया तरस मेरी हालत पर
फिर उन्होने कहा मुझे दोबारा पागल
अभी ना टेक पैर पानी की सतह पर
अभी तो बहुत दूर है किनारा पागल
हमने खत में लिखा हाले दिल अपना
और उस खत के आखिर में लिखा “तुम्हारा पागल”
वो तो गाँव में है फिर ये किसने उसकी आवाज में हमें पुकारा पागल
अब तो जेहन तक से पागल हो गया है कान्हा
अब तो तुम क्या ही बनाओगे तुम हमारा पागल

इस खेल मे मोहरे गर तुम्हारे भी होते
हम अफसोस तक ना करते गर हारे भी होते
हमने सीखी नही बेबफाई इश्क में
वग़र ना हम भी किसी ओर के होते तो तुम्हारे भी होते

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