Kahi Batkahi Poetry l Shubham Shyam l Hindi Poetry

Poetry Details

Kahi Batkahi Poetry l Shubham Shyam l Hindi Poetry-इस पोस्ट कुछ कविताओ को प्रस्तुत किया है,जो किShubham Shyam जी द्वारा स्वयं लिखा एवं प्रस्तुत किया है

तुम पाबंदिया ला दो आजादी नाम है अपना
तुम आरंभ मे रोको मगर अंजाम है अपना
जितनी बांधनी है बांध,उतनी बांध कर देखो
हम इश्क की दरिया है,बहना काम है अपना

 

हर बार तुम्हारे शब्दो ने मुझे अंदर तक झकझोरा है
हर बार तुम्हारी बातो ने मेरा पंजर पंजर तोड़ा है
हर बार मेरी आँखो में ही इक अश्क टपक कर आता है
वो ह्रदय का खामोश दर्द ,खामोशी से बह जाता है
मैं अपनी आदत का मारा तुम मजबूर हालातो से होकर
जो कड़वे कड़वे शब्द चुने,तुमने अपना आपा खोकर
उन शब्दो से मेरा ह्रदय,युं छलनी होता जाता है
फिर आँखो की तलहटी पर,अश्क उभर कर आता है
वो ह्रदय का खामोश दर्द ,खामोशी से बह जाता है
तुमने भी पूरी कोशिश की,मैं भी हर पल इक जंग लड़ा
बस वहाँ वहाँ सब बिखर गया,मै जहाँ जहाँ कमजोर पड़ा
उस कमजोरी का फिर ऐसे जो माखौल उड़ाया जाता है
तब आँखो की नीलम पर दो अश्क ठहर कर आता है
वो ह्रदय का खामोश दर्द ,खामोशी से बह जाता है
फिर जब जब तेरी याद आयी,युं गुस्से का संचार हुआ
जिस लड़की ने ना चाहा हो उस लड़की से ही प्यार हुआ
फिर अपनी गल्ती याद आती है,गुस्सा ठंडा होता है
तब आँखो मे अफसोस जीवन का टपक टपक कर रोता है
वो ह्रदय का खामोश दर्द ,खामोशी से बह जाता है
युं आँखो से सैलाब उठा और गालो तक हर लहर गयी
ह्र्दय के जस्बात की ज्वाला लब तक आकर ठहर गयी
युं कहना तो था बहोत मगर,हर जख्म दिखाना भारी था
उन जख्मो को शब्दो में पिरो कर लब तक लाना भारी था
और कहते भी तो किससे हम,नाजुक सा दिल जिसने तोड़ा
जीवन के अमर भँवर में जिसने तन्हा सा मुझको छोड़ा
मैं क्युं अपने ज्जबातो को,युं ही तुझपे बर्बाद करूं
कही ओर लगाऊं भावो को,कुछ ओर कही आबाद करूं
तो भौंरे सा लो उड़ चला हर बाग की कली खिलाने को
जिस दिल को तुमने ठोकर दी उस दिल को कहीं लगाने को
मैं फिर से प्यार लुटाने को,मैं फिर से प्यार को पाने को
जीवन पथ पर चल निकला हूं,जीवन को सफल बनाने को

 

तमाशा तुम भी कर लेना,तमाशा हम भी कर लेंगे
नयन तुम भी भीगा लेना,नयन नम हम भी कर लेंगे
खता जिसने भी की हो,इश्क तो बिखरा है दोनो का
जरा गम तुम भी कर लेना,जरा गम हम भी कर लेंगे
ना आगे का कुछ सोच सकूं,ना पीछे का कुछ याद रहे
बस आज को जी भर जी पाऊं,मुझको ऐसा जीवन देना
कुछ गल्तीयाँ हुई अतीत में,उसका मलाल दिल में अबतक
इतिहास भरा है जीवन का,हर रोज मुकरते सपनो से
हर रोज टूट कर बिखर गये,जो धोखे खाये अपनो से
उन अपनो से जिनको जीवन का पाई पाई दे डाला
हो जिनके खुशियो की खातिर,जिनके हर गम को संभाला हो
ना याद रहे गुजरा वो कल ,ना याद रहे बिखरा वो पल
उन लम्हो को बस भूल पाऊं,मुझको ऐसा जीवन देना

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