Poetry Details:-
HUM BADNAAM BEWAFA HI SAHI ||हम बदनाम बेवफा ही सही || HEMA KUSHWAHA –इस पोस्ट मे कुछ कविताये प्रस्तुत की गयी है जो कि HEMA KUSHWAHA के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है।
प्यार ना सही,थोड़ा भरोसा यार ही कर लेते
हर बार ना सही,इक बार ही कर लेते
लौट आने का वादा तो दोनो ने किया था
ऐतबार ना सही ,इंतजार ही कर लेते
जब हम पास थे,कुछ प्यारे लम्हे साथ थे
निगाहे पढ लेने का हुनर तो रखते थे दोनो
जाने क्युं दिल मे फिर भी एतराज थे
जब हम पास थे,कुछ प्यारे लम्हे साथ थे
जब निकले थे दोनो अपनी अपनी मंजिल को पाने के लिये
एक वादा किया था लौट आने के लिये
वादा तो बखूबी निभाया उन्होने जनाब
गल्ती हमारी थी ,शर्त हम ही बताना भूल गये अकेले आने के लिये
जाहिर नही किया,मगर तड़पे बहुत थे एक शख्स के लिये
सब कुछ जानते हुये भी चुप रह गये, एक शख्स के लिये
लोग कहते है उसने रात मेरे इंतजार में घर के बाहर गुजारी
अरे जनाब,कमरे में सोये हम भी नही थे,एक शख्स के लिये
उनसे बिछड़ने की कशिश रहती है,कही ना कही
आज वो नामी आशिक है,हम बदनाम बेवफा ही सही
सोचा था उनके प्यार मे हम नूर हो गये
उनके बेवफाई के किस्सो मे मशहूर हो गये
वो कहते है दगा हमने दिया,
अरे जाओ मियां तुम्हारे चलते हम खुद से दूर हो गये
बहुत हुआ मन मानी करना,अब सहा गया हम से नही
आज वो नामी आशिक है,हम बदनाम बेवफा ही सही
अच्छा एक बात बताओ युं बेपनाह मोहब्बत करके दगाबाजी करना सही है क्या?
कोइ गम था तो बयां कर देते ,युं मेखाने मे बैठ जाना सही है क्या?
और पीने की हद तो तुम भूल ही चुके हो,मगर उस तवायफ के साथ जाना सही है क्या?
और बेशर्मी की हद तो देखो तुम्हारी ,अगले रोज मेरे दरवाजे पर आना सही है क्या?
बात तो उस दिन भी थी,मगर अब वो बात ना रही
आज वो नामी आशिक है,हम बदनाम बेवफा ही सही
इश्क से इश्क करने की खता,इश्क मे ही होती है
और जिस इश्क मे खता ना हो,क्या वो खता इश्क होती है?