Poem Details
इस पोस्ट मे कुछ मशहुर नग्मे और शायरियाँ पेश की गयी है जो कि Tehzeeb Hafi जी के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है।
मोहब्बत में जो सुन रखा था वैसा कुछ नहीं होता, कि इसमें बांदा मरता है ज्यादा कुछ नहीं होता
चलो माना कि मेरा दिल मेरे महबूब का घर है पर उसके पीछे उसके घर में क्या-क्या कुछ नहीं होता
यह फिल्मों में ही सबको प्यार मिल जाता है आखिर में मगर सचमुच में इस दुनिया में ऐसा कुछ नहीं होता
मेरी गुरबत ने मुझेसे मेरी दुनिया छीन ली ‘हाफी’ मेरी अम्मा तो कहती थी कि पैसा कुछ नहीं होता
गले तो लगना है उससे कहो अभी लग जाए यही न हो मेरा उसके बगैर जी लग जाए
मैं आ रहा हूं तेरे पास यह ना हो कि कहीं तेरा मजाक हो और मेरी जिंदगी लग जाए
पता करूंगा अंधेरे में किस से मिलता है और इस अमल में मुझे चाहे आग भी लग जाए
हमारे हाथ ही जलते रहेंगे सिगरेट से कभी तुम्हारे भी कपड़ों पर स्त्री लग जाए
मैं पिछले 20 बरस से तेरी गरिफ्त में हूं कि इतनी देर में तो कोई आईजी लग जाए
क्लासरूम हो या हश्र कैसे मुमकिन है हमारे होते तेरी गैहजारी लग जाए
मैंने यह कब कहा कि वह मुझको अकेला नहीं छोड़ता,छोड़ता है मगर एक दिन से ज्यादा नहीं छोड़ता
कौन सेहरांओ की प्यास है इन मकानों की बुनियाद में बारिशों से अगर बच भी जाए तो दरिया नहीं छोड़ता
दूर उम्मीद की खिड़कियों से कोई झांकता है मुझे और मेरे गली छोड़ने तक धरिचा नहीं छोड़ता
लेकिन मैं जिसे छोड़कर तुमसे छुपा कर मिला हूं अगर आज वह देख लेता तो शायद वह दोनों को जिंदा नहीं छोड़ता
कौन-ओ-इमकान में दो तरह के ही तो शॉब्दावाज है एक पर्दा गिरता है और एक पर्दा नहीं छोड़ता
आज पहली दफा उससे मिलना है और एक खद्चा भी है वह जिसे छोड़ देता है उसको कहीं का नहीं छोड़ता
पहले मुझ पर बहुत भोक्ता है कि मैं अजनबी हूं कोई और अगर घर से जाने का बोलूं तो कुर्ता नहीं छोड़ता
चेहरा के लोग कहते हैं तहजीब आप ही उसे छोड़कर ठीक है लोग कहते हैं हिजर इतना ही आसान होता तो कौन सा नहींछोड़ना
भरम रखा है तेरे हिज्र का वर्ना क्या होता है मैं रोने पर आ जाऊं तो झरना क्या होता है
मौत तो मेरी मुट्ठी में रहती है उसकी खातिर इससे भी आगे जा सकता हूं मरना क्या होता है
मेरा छोड़ो मैं नहीं थकता मेरा काम यही है लेकिन तुमने इतने प्यार का करना क्या होता
जिन पर वह आंखें उठी हैंउनसे जाकर पूछो डूबना क्या होता है पार उतरना क्या होता है
नहीं था अपना मगर फिर भी अपना अपना लगा
किसी से मिलकर बहुत देर बाद अच्छा लगा
तुम्हें लगा था मैं मर जाऊंगा तुम्हारे बगैर
बताओ फिर तुम्हें मेरा मजाक कैसा लगा
तिजोरियों पर नजर और लोग रखते हैं
मैं आसमान चुरा लूंगा जब भी मौका लगा
जिंदगी भर फूल ही भिजवाओगे या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे
खुद को आईने में काम देखा करो एक दिन सूरजमुखी बन जाओगे
मैंने जो कुछ भी सोचा हुआ है मैं वह वक्त आने पर कर जाऊंगा
तुम मुझे जहर लगते हो और मैं किसी दिन तुम्हें पीके मर जाऊंगा
मैं खला हुं खलाओं का नेमुल बदल खुद खाल है
तुम्हें क्या पता मैं तुम्हारी तरह कोई खाली जगह तो नहीं हुं के भर जाऊंगा
तू तो बिनाई है मेरी तेरे अलावा मुझे कुछ भी दिखता नहीं
मैंने तुझको अगर तेरे घर पर उतरा तो मैं कैसे घर जाऊंगा
तेरे दिल से तेरे शहर से तेरे घर से तेरी आंख से तेरे दर से
तेरी गलियों से तेरे वतन से निकला हुआ हूं किधर जाऊंगा
चाहता हूं तुम्हें और बहुत चाहता हूं तुम्हें खुद भी मालूम है
हां अगर मुझसे पूछा किसी ने तो मैं सीधा मुंह में मुकर जाऊंगा
तपते सहरांओ में सबके सर पर आंचल हो गया
उसने जुल्फे खोल दी और मसला हल हो गया
उसने बातों बातों में मुझसे कहा पागल हो क्या
और फिर दुनिया ने देखा कि मैं पागल हो क्या
जैहन से यादों के लश्कर जा चुके
वह मेरी महफिल से उठ कर जा चुके
मेरा दिल भी जैसे पाकिस्तान है
सब हुकूमत करके बाहर जा चुके
जो मेरे साथ मोहब्बत में हुई आदमी एक दफा सोचेगा
रात इस डर में गुजारी हमने कोई देखेगा तो क्या सोचेगा
घर में भी दिल नहीं लग रहा काम पर भी नहीं जा रहा
जाने क्या खौफ है जो तुझे चूम कर भी नहीं जा रहा
रात के 3:00 बजने को हैं यार यह कैसा महबूब है
जो गले भी नहीं लग रहा और घर भी नहीं जा रहा
अब वो मिलने आये तो उसको घर ठहराना
धूप पड़े उस पर तो तुम बादल बन जाना
तुम को दूर से देखते देखते गुजर रही है
मर जाना पर किसी गरीब के काम ना आना
बहुत मजबूर होकर मैं तेरी आंखों से निकला
खुशी से कौन अपने मुल्क से बाहर रहा है
गले मिलना ना मिलना तो तेरी मर्जी है
लेकिन तेरे चेहरे से लगता है तेरा दिल कर रहा है
कैसे उसने यह सब कुछ मुझसे छुपा कर बदला
चेहरा बदल रास्ता बदल बाद में घर बदला
मैं उसके बारे में यह कहता था लोगों से
मेरा नाम बदल देना वह शख्स अगर बदला
वह भी खुश था उसने दिल देकर दिल मांगा है
मैं भी खुश हूं मैंने पत्थर से पत्थर बदला
मैंने कहा क्या मेरी खातिर खुद को बदलोगे
और फिर उसने नजरे बदली और नंबर बदला
रातें किसी याद में काटती हैं और दिन दफ्तर खा जाता है
दिल जीने पर मायल होता है तो मौत का डर खा जाता है
सच पूछो तो तहज़ीब हाफी मैं ऐसे दोस्त से हजिस हूं
मिलता है तो बात नहीं करता और फोन पर सर खा जाता है
हम तुम्हारे गम से बाहर आ गए
हिज्र से बचने के मंतर आ गये
मैने तुमको अंदर आने का कहा
तुम तो मेरे दिल के अंदर आ गए
एक ही औरत को दुनिया मानकर इतना घुमा हूं के चक्कर आ गए
नहीं आता किसी पर दिल हमारा वही कश्ती वही साहिल हमारा
तेरे दर पर करेंगे नौकरी हम तेरी गलियां है मुस्तक बिल हमारा
कभी मिलता था कोई होटलो में कभी भरता था कोई बिल हमारा
जब से उसने खेंचा है,खिड़की का पर्दा एक तरफ
उसका कमरा एक तरफ है,बाकि दुनिया एक तरफ
एक तरफ मुझे जल्दी है,उसके दिल मे घर करने की
एक तरफ वो कर देता है,रफता रफता एक तरफ
युं आज भी तेरा दुख दिल देहला देता है,लेकिन
तुझसे बिछड़ जाने के बाद का पहला हफ्ता एक तरफ
तेरी आँखो ने मुझसे मेरी खुद्दारी छीनी वरना
पांव की ठोकर से कर देता था,मै दुनिया एक तरफ
मेरी मर्जी थी मै ज़र्रे चुनता या लहरे चुनता
उसने दरिया एक तरफ रखा और सेहरा एक तरफ
ये मैने कब कहा के मेरे हक मे फैसला करे
अगर वो मुझसे खुश नही है तो मुझे जुदा करे
मै उसके साथ जिस तरह गुजारता हुं जिंदगी
उसे तो चाहिये के मेरा शुक्रिया अदा करे
बना चुका हुँ मै,मोहब्बतो के दर्द की दवा
अगर किसी को चाहिये तो मुझसे राब्ता करे
मेरी दुआ है,और इक तरह से बद्दुआ भी है
खुदा तुम्हे तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे
भरी दुनिया में कोई है जिसे अपना समझते हो
तुम्हें खुद भी समझ आता है खुद को क्या समझते हो
तुम्हें हर एक से शिकवा है तुम्हे कोई नहीं समझा
बुरा मत मानना तुम बंदे को बांदा समझते हो
मेरे हाथों में वरना क्या नहीं था
तेरी आंखों पर रख सकता नहीं था
तेरे माथे में क्या सिंदूर भरते
बदन में खून का कतरा नहीं था
चलो नाम और शक्ले तो अलग थी मुकद्दर भी तेरे जैसा नहीं था
वह दुश्मन घर भी आ जाता था मेरे उसे मुझे कोई खतरा नहीं था
मेरे पेशे-नजर कुछ बस्तियां थी मैं दरिया था मगर बहता नहीं था
हमारे घर में थी बैलों की जोड़ी हमारी पुश्त पर बस्ता नहीं था
जरा सी आंच की हाफि कमी थी वह मेरा था मेरा अपना नहीं था
उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे
पलट के आये तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गयी तो
हम ऐसे बुज़दिल भी पहली सफ में खड़े मिलेंगे
तुझे ये सड़के मेरे तबस्सुत से जानती है
तुझे हमेशा ये सब इशारे खुले मिलेंगे
हमें बदन और नसीब दोनो संवारने है
हम उसके माथे का प्यार लेकर गले मिलेंगे
ना जाने कब उसकी आँखे छलकेंगी मेरे ग़म मे
ना जाने किस दिन मुझे ये बर्तन भरे मिलेंगे
तू जिस तरह चूम कर हमें देखता है हाफी
हम एक दिन तेरे बाजुओ मे मरे मिलेंगे