DOST BANKAR RAHTE HAI NA DOST-KANHA KAMBOJ

Poetry Details:-

DOST BANKAR RAHTE HAI NA DOST-इस पोस्ट मे २ कविताये प्रस्तुत की गयी है जो कि KANHA KAMBOJ के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है।

गर एक तरफा ही हम तुम पर मरते रहेंगे
तो जान ऐसा हम कब तक करते रहेंगे
दोस्त बन कर रहते है ना दोस्त
आशिक़ी में तो हम तुम मरते रहेंगे
बेशक रहेंगे तेरे कदमो में हम
जमाने के तो हम सर पर चढ़ते रहेंगे
 कही आंख ही न बह जाए आँसुओ में
बेहतर पागल ही कर दो मुसलसल हँसते रहेंगे
क्यों सुने किस्से मोहब्बत के फिर
जब हर कहानी में आशिक़ ही मरते रहेंगे
आपको बस हम ही से है मोहब्बत
आप ये कहने में कब तक डरते रहेंगे

तू हर दफा अपनी चला “बस कर”
मुझे सबसे ज्यादा ये खला “बस कर”
चीखते रहे तेरा नाम तूने ना सुना
फिर चीख उठा मेरा गला “बस कर”
मै बेहया,बेरहम,बेगैरत
अब और कुछ ना कह भला “बस कर”
तुम चाहती हो हम भी हो जाये बेवफा
नही सीखनी तुम से ये कला “बस कर”

तुम्हारा हर जख्म हम गवारा केहते है
है यही सच लो हम दोबारा केहते है
नही मिलना तो जान साफ कह दीजिऐ
नजर झुकाने को तो हम इशारा केहते है

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