Banda Ishq Mein Hain by Rajat Sood –“Banda Ishq Mein Hain” कविता को Rajat Sood द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया
कील ठोकी जा रही,दिल की दीवार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
वो मानता नही के दिवाना हो चुका है
जब के दिवानगी का सबूत हजार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
“ताजमहल में ऐसा क्या है?”वो बोले था
अब उसका जी लगता उस मज़ार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
उसकी आदतों में जो भी बदला दिखे
वे सभी का इल्जाम उसके प्यार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
घर का पता बेशक रट लिया है उसने
हाँ,दवाखाने का ठिकाना बीमार पे है
उसका सपना है उसे भीगता हुआ देखे
सच होने का सारा जिम्मा बहार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
खेल का अंजाम सुहाना हो सकता है
इश्क की जीत,एक जिद की हार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
वो पागल मुझे दिख जाता है अक्सर
वो क्या है,इक आईना हमार पे है
बंदा इश्क में फना होने की कगार पे है
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