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KHURRAM AAFAQ@AndaazEBayaanAur-2022-इस पोस्ट मे कुछ नग्मे और शायरियाँ पेश की गयी है जो कि KHURRAM AAFAQ के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है।
बड़ी मुश्किल से नीचे बैठते है,जो तेरे साथ उठते बैठते है
और अब उठना पड़ाना अगली सफ़ से,कहा भी था के पीछे बैठते है
बुरा मनाया था हर आहट,हर सरगोशी का
सोचो कितना ध्यान रखा उसने खामोशी का
तुम इ्सका नुकसान बताती अच्छी लगती हो
वरना हमको शौक नही है सिगरेट नोशी का
जितना प्यार उसे करता हुँ,उतनी चाहत मिल जाती है
मैने फायदा क्या करना है,मुझको लागत मिल जाती है
दस सालो से पड़े हुये है हम बेहाल तेरे दिल में
इतने मे तो गैर मुमालिक की शहरियत मिल जाती है
इश्क अगर हम साये मे हो जाये,तो ये फायदा है
दिल से दिल मिल जाता है और छत से छत मिल जाती है
कोशिश के बावजूद भी ,साकिंन नही रहा
कुछ दिन मै सामने रहा,कुछ दिन नही रहा
पहले ये रब्त मेरी जरूरत बनाओगे
और फिर कहोगे राब्ता मुमकिन नही रहा
स्कूल के दिनो से मुझे जानते हो तुम
मै आज तक सवाल किये बिन नही रहा
हम एक वारदात से थोड़े ही दूर है
वो हाथ लग गया है मगर छिन नही रहा
इक रात उसने चंद सितारे बुझा दिये
उसको लगा था कोई इन्हे गिन नही रहा
तूफान की उम्मीद थी,आंधी नही आयी
वो आब तो क्या उसकी खबर भी नही आयी
हर रोज पलट आते थे मेहमान किसी के
हर रोज ये कहते थे कि गाड़ी नही आयी
शायद वो मोहब्बत के लिये ठीक नही है
शायद ये अंगूठी उसे पूरी नही आयी
मोहब्बत मे तेरा दिल रख लिया है
मगर मजमून मुश्किल रख लिया है
सफर करने लगा हुँ,बैठे बैठे
तुम्हारा नाम मंजिल रह लिया है
किसी के साथ शरारत जरूर करते है
जो बेवफा हो मोहब्बत जरूर करते है
वो शख्स लाख अमीरो के भेष मे जाये
दुकानदार रियायत जरूर करते है
जुनून की हौसला अफजाई करने वाले भी
कभी कभार नसीहत करूर करते है
किसी बदन पे,किसी मुल्क पर, किसी दिल पर
जो सच्चे हो वो हुकूमत जरूर करते है
ये और बात हमे शौके बज़्म है लेकिन
अकेले पन की हिमायत जरूर करते है
दवा से हल ना हुआ तो दुआ पे छोड़ दिया
तेरा मुआमला हमने खुदा पे छोड़ दिया
बहोत ख्याल रखा मेरा और दरख्तो का
फिर उसने दोनो को अबो हवा पे छोड़ दिया
नतायी जब सरे मेशर मिलेंगे,
मोहब्बत के अलग नंबर मिलेंगे
तुम्हारी मेज़बानी के बहाने
कोई दिन हम भी अपने घर मिल्रंगे
किये कराये का सारा हिसाब दूंगा मै
सवाल जो भी करोगे जबाब दूंगा मै
ये रख रखाव कभी खत्म होने वाला नही
बिछड़ते वक्त भी तुझको गुलाब दूंगा मै
बातचीत मे अच्छा हो,बस ठीक ना हो
फायदा क्या महबूब अगर बारीक ना हो
हम तेरी कुर्बत मे अक्सर सोचते है
दरिया खेत के इतना भी नजदीक ना हो