“Nazar” – Nidhi Narwal-इस पोस्ट में जो कविता प्रस्तुत की गयी है वो Nidhi Narwal के द्वारा लिखी एवं पेश की गयी है।
नज़र चढ़ती है खूब ,नज़र को शराब लिखना चाहती हुँ
नज़र अच्छी नही है जमाने की,नज़र को खराब लिखना चाहती हुँ
नज़र का इंतजार करती है नज़रे,नज़र को खिताब लिखना चाहती हुँ
नज़र इजहार आयी है बन कर,नज़र को गुलाब लिखना चाहती हुँ
नज़र तेज लहर सी है,नज़र को सैलाब लिखना चाहती हुँ
नज़र पढी जाती भी है ,नज़र को किताब लिखना चाहती हुँ
नज़र कितनो से मिली है उसकी,नज़र का हिसाब लिखना चाहती हुँ
नज़र से मारे गये है आशिक,नज़र को तेज़ाब लिखना चाहती हुँ
नज़रो ने सवाल किये है मुझसे,नज़र का जबाब लिखना चाहती हुँ
नज़र के पीछे रहता है मकसद,नज़र को नकाब लिखना चाहती हुँ
Copyright@Lyricsdeal.com