वो जल रही होगी ,चांदनी में टहल रही होगी-JOHN ELIA

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वो जल रही होगी ,चांदनी में टहल रही होगी –ये कुछ गजले और शायरियाँ JOHN ELIA के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है

मेरी अक्लो होश की सब हालतें,तुमने साँचे मे जुनू के ढाल दी
कर लिया था मैने अहदे-तरके-इश्क,तुमने फिर बांहे गले मे डाल दी

यूं तो अपने कासिदाने दिल के पास,जाने किस किस के लिये पैगाम है
पर लिखे है मैने जो औरो के नाम,मेरे वो खत भी तुम्हारे नाम है

ये तेरे खत तेरी खुशबू ये तेरे ख्वावो ख्याल,मताये जां है तेरे कौल और कसम की तरह
गुजस्ता साल इन्हे मैने गिन के रखा था,किसी गरीब की जोड़ी हुई रकम की तरह

कितने जालिम है जो ये कहते है,तोड़ लो फूल,फूल छोड़ो मत
बागवां हम तो इस ख्याल के है,देख लो फूल,फूल तोड़ो मत


है मोहब्बत हयात की लज्जत, वरना कुछ लज्जते हयात नही
क्या इजाजत है एक बात कहूं,वो..मगर..खैर कोई बात नही

शर्म ,दहशत,झिझक,परेशानी नाज से काम क्यो नही लेती
आप,वो,जी मगर ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यो नही लेती

साल्हा साल और एक लम्हा,कोई भी ना तो इन मे बल आया
खुद ही एक दर पे मैने दस्तक दी,खुद ही लड़का सा मै निकल आया

जी ही जी में वो जल रही होगी,चाँदनी में टहल रही होगी
चाँद ने तान ली है चादर-ए-अब्र,अब वो कपड़े बदल रही होगी
सो गयी होगी वो शफक अंदाम,सब्ज केंदील जल रही होगी
सुर्ख और सब्ज वादियो की तरफ,वो मेरे साथ चल रही होगी
चढते चढते किसी पहाड़ी पर,अब वो करवट बदल रही होगी
नील गु झील नाफ तक पहने,संदली जिस्म मल रही होगी

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या,तुमसे मिल कर बहुत खुशी हो क्या
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ,मुझको यकसर भुला चुकी हो क्या
याद है अब भी अपने ख्वाव तुम्हे,मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या
बस मुझे यूं ही एक ख्याल आया,सोचती हो तो,सोचती हो क्या
अब मेरी कोई जिंदगी ही नही,अब भी तुम मेरी जिंदगी हो क्या
क्या कहा इश्क जाब-ए-दानी है,आखिरी बार मिल रही हो क्या
हाँ फजा यहा की सोई सोई सी है,तो बहुत तेज रोशनी हो क्या
मेरे सब तंज बेअसर ही रहे,तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या
दिल मे अब सोजे इंतजार नही,शम-ए-उम्मीद बुझ गयी हो क्या

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