मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये | Dr.Sunil Jogi

Poetry Details:-

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये | Dr.Sunil Jogi –ये बहुत मशहूर कविता है जो की Dr.Sunil Jogi के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम MA फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम AC घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारुती लगती हो, मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं

इस तरह अगर हम छुप छुप कर, आपस में प्यार बढ़ाएंगे
तो एक रोज तेरे डेडी, अमरीश पुरी बन जाएंगे
सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूं गदहे की नाल प्रिये
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हड़ताल प्रिये
तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं अल्युमिनियम का थाल प्रिये
तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये

तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूं कछुए की चाल प्रिये
तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हूं बबूल की छाल प्रिये
मैं पके आम सा लटका हूं मत मारो मुझे गुलेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं शनि देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो
मैं तन से मन से कांशी हुँ, तुम महा चंचला माया हो
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूं
तुम राज घाट का शांति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं
तुम हो पुनम का ताज महल,मै काली गुफा अजंता की
तु हो वरदान विधाता का,मै गलती हुँ भगवंता की
तुम जटरीमान की शोभा हो,मै बस की ठेलमपेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम नई विदेशी मिक्सी हो,मै पत्थर का सिलवट्टा हुँ
तुम AK-47 जैसी,मै तो इक देशी कट्टा हुँ
तुम चतुर राबड़ी देवी सी,मै भोला भाला लालू हुँ
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,मै चिड़िया घर का भालू हुँ
तुम व्यस्त सोनिया गांधी सी,मै नटवरर्सिंह सा खाली हुँ
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,मै पुलिस मैन की गाली हुँ
गर जेल मुझे हो जाये तो,दिलवा देना तुम बेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं ढाबे के ढांचे जैसा, तुम पांच-सितारा होटल हो
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम ‘रेड लेबल’ की बोतल हो
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूं
तुम एपल का मोबाइल हो, मै ठिलिया छाप कबाड़ी हुं
तुम विश्व सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया-छाप कबाड़ी हूं
तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला चोगा
तुम मछली मनसरोवर की, मैं हूं सागर तट का घोंघा
दस मंजिल से गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम जयाप्रदा की साड़ी हो,मै शेखर वाली दाड़ी हुँ
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो,मै लल्लू लाल अनाड़ी हुँ
मै जया जेटली सी कोमल,मै सिंह मुलायम सा कठोर
तुम हेमामलिनी सी सुंदर,मै बंगारू की तरह गोल
तुम सत्ता की महरानी हो,मै विपक्ष की लाचारी हुँ
तुम हो माया और ममता सी,मै कुंवारा अटल बिहारी हुँ
तुम संसद की सुंदरता हो,मै हुँ तिहाड़ की जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

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