मोहब्बत का कोई वादा नहीं है-इस पोस्ट मे कुछ दोहे और गीत को पंक्तिबद्ध किया गया है जो कि Rahul Shesh के द्वारा लिखे एवं प्रस्तुत किये गये है।
माँ की बातो मे बसे,गीता और कुरान
माँ मेरी आराधना ,माँ मेरा भगवान
कुल्लहड़ वाली चाय मे,मिट्टी के जज्बात
कैसे थर्माकोल मे,आयेगी वो बात
मिट्टी ने हँस कर कही,अपने मन की बात
कितना भी ऊपर उठो,मत भूलो औकात
बेटी संग जो भेजते सोना,चाँदी, कार
उनसे जाकर ये कहो,भेजे शिष्टाचार
उसके आने का हमे इतना है आभास
हमने तोड़ा ही नही,आँखो का उपवास
मोहब्बत का कोई वादा नही है
मुझमे तू अभी ज्यादा नही है
हमारा प्रेम है मोहन के जैसा
तुम्हारी प्रीत मे राधा नही है
इन आँखो मे समंदर ढूढते हो
किसे तुम मेरे अंदर ढूढते हो
नही मेरे प्यार का इक फीसदी भी
जिसे मेरे बराबर ढूंढते हो
हमे उसकी निशानी मिल गयी है
के जैसे राजधानी मिल गयी है
है महके रात दिन और ख्वाव मेरे
हमे फिर जिंदगानी मिल गयी है
किसी भी दर्द पे काबू नही है
अगर इस जिंदगी मे तू नही है
तुम्हारी आँख से छलका अभी जो
यकीनन इश्क है आँसू नही है
मेरे चेहरे पे रंगत ढूंढते हो
कहो कैसी मोहब्बत ढूंढते हो
छोड़ आये हो माँ को गाँव मे तुम
शहर मे आके जन्नत ढूंढते हो
कहानी के अलग किरदार निकले
बडे तुम जेहन से बीमार निकले
जिन्हे राजा समझ रखा था हमने
महज वो तो सिपहसालार निकले
कभी नोटिस नही करती किसी को
गली से चाहे सौ सौ बार निकले
तुम्हारी आँख से दिखता नही पर
जुबां से ही सही पर प्यार निकले
वही पर एक दरवाजा बनाओ
जहाँ पर कोई भी दीवार निकले
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