Poetry Details:-
VO SHAKHS KAMEENA HI HOGA || Lekhakrang || Karan Gautam -इस पोस्ट में कुछ शायरियाँ और एक नज्म प्रस्तुत की गयी है ,जो कि Karan Gautam द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।
गम-ए-रात बस कट जाये तमन्ना यही करते है
दर्द बहुत है दिल मे थोड़ा बँट जाये तमन्ना यही करते है
अरे..! पढा होगा तुझे बहुतो ने मगर, हम तो बस तुझे रट जाये तमन्ना यही करते है
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मेरा साथ गवारा नही ,कोई बात नही..
इस घर मे गुजारा नही, कोई बात नही..
पर मै तो तुम्हारा था ना जिस के बिना तुम रह भी नही सकती थी
क्या कहा…? मै भी तुम्हारा नही कोई बात नही..
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देकर धोखा मुझे तेरा गुजारा क्या होगा
मनमर्जी से डुबते को तिनके का सहारा क्या होगा
जिसने इतनी बेरहमी से बेवफाई की है हम से
वो शख्स कमीना ही होगा बेचारा क्या होगा
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किसी के झूठ की वजह से हम सो नही पा रहे है
कोई संभाल नही पायेगा इस डर से रो नही पा रहे है
इंतजार मे है बुला रहे है कब से
एक मौत नही आ रही है और एक वो नही आ रहे है
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ये झूठ है पर इसे हर दफा लिखूंगा मै
पढ सके ये जमाना सारा इतना सफा लिखुंगा मै
तुम बदले थे ये कब से सुन रहे है दुनिया
आज इस नज्म मे खुद को बेवफा लिखुंगा मै
तुमने मनाया होगा,मै ही नही माना शायद
तुमको तो आता था मुझे ही नही आया निभाना शायद
तुम तो चाहते थे हम जन्म जन्म के लिये एक हो जाये
मै ही नही चाहता था तुमको पाना शायद
शायद मैने ही इंतजार नही किया होगा
तुमने तो किया था पर मैने ही प्यार नही किया होगा
चल सारी गल्ती मेरी है,आज कबूल करता हुँ
रोजाना तुझे याद करके वक्त फिजूल करता हुँ
अब इन आँखो तेरा इंतजार नही,ऐसा नही के तुझसे प्यार नही
बस फिर से तुझे पा सकू इतनी मेरी औकात कहाँ?
तुझमे तो है जान पर मुझमे वो बात कहाँ?
खैर..अपनी शादी का बुलावा देना,मै आऊंगा जरूर
एक ही निवाला सही पर खाऊंगा जरुर
आखिर कब तक आँसुओ से पेट भरता रहुँ?
ऐसे ही कब तक तुझे याद करता रहुँ?
उस दिन सबके सर पर सेहरे देखुंगा मै
पूरी रात रुक कर सातो फेरे देखुंगा मै
वो सात वचन जब लोगी तुम..
ईश्वर की कसम जब लोगी तुम..
तुम्हारी आँखो मे शर्म देखनी है मुझे
उस आग की लपटे भी चीख उठे,
अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे
उस दिन के बाद हर रात मे नाचूंगा मै
जिस दिन तुम्हारी बारात मे नाचूंगा मै
कोई पूछेगा रुखसती के वक्त “आँखो मे आंसू क्युं नही ?”
मै हँस कर कह दुंगा “मेरे मेहबूब की शादी है मै नाचू क्युं नही?”
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तेरे गुनाहो की सजा क्या दूं?
मै मुर्दे को कज़ा क्या दूं?
तूने छोड़ है किस बात पर मुझे
लोग पूछ रहे है मै वजह क्या दूं
तुझे बेवफा कहना भी तो आसान नही है
दर्द कैसे दिखाऊं जमाने को ?
जिस्म पर भी तो कोई निशान नही है
ख्वाव इतने थे आँखो में सब तोड़ दिये
पिंजरे से निकाले पंछी और पर काट कर छोड़ दिये
देख इक दिन तो आयेगी तू,पछतायेगी तू ये वादा करता हुँ
मोहब्बत ही इतनी की थी तुझसे इसलिये नफरत भी बेहद ज्यादा करता हुँ
अब सब कुछ ठीक है मगर पर तेरा वापस आना फिजूल है
तू मोहब्बत थी मेरी इसलिये तेरा हर गम भी कबूल है
अब रोज काँटो सी जिंदगी जियेगी तू
हर रोज ज़हर का घूंट पीयेगी तू
तड़प उठेगी मेरी इक झलक को भी
बिन झपकाये सोयेगी पलक को भी
अभी तो ना जाने कितनी राते काली होगी
खुला आसमां होगा बारिश की बूँदे होगी
पर तेरी बांहे खाली होगी
मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल है तू
अब नही कहूंगा के कबूल है तू
जर्रा जर्रा तेरी बेवफाई के किस्से गा रहा है
तेरा आशिक अपनी रातो की कहानियाँ सुना रहा है
बता रहा है किस तरह तूने उसकी बांहो में भी वही वादे किये है
जिंदगी साथ बिताने के इरादे किये है
तुझसे नफरत करने वालो मे से भी चुनिंदा हुँ मै
ये चिठ्ठी लिख कर पहुचाने वाला परिंदा हुँ मै
और तू खुश है तो खुश रह
बस इतना समझ लेना के
तेरे वगैर भी ठीक हुँ,खुश हुँ और जिंदा हुँ मै