Tujhe Apna Bana Na Saka-Manhar Seth

Poetry Details:-

Tujhe Apna Bana Na Saka-तुझे अपना बना ना सकाइस कविता को Manhar Seth ने लिखा और प्रस्तुत किया है,The Social House यु-टयुब चैनल पर प्रदर्शित किया गया है।

तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
जिसकी रातें मेरे बिना होती ना थी
जो मुझे आइ लव यु बोले बिना सोती ना थी
जो मुझसे कुछ भी छुपा के रेह नही पाती थी
जो मेरे खिलाफ कोई भी तोहीन सह नही पाती थी
जो दिन शुरु मेरी मुस्कान से ,खत्म मुझपे करती थी
जो मेरे लिये हर रोज जीती थी,जो मेरे लिये हर रोज मरती थी
आज देखो वो किसी और की हो गयी है
और उसके किसी और के हो जाने पर मै रोक लगा ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
पर जब तु साथ थी,तो सोचा था तु अलग थी सब से
ये गलतफेहमी पाल रखी थी कब से
पर तु भी बिल्कुल वैसी ही निकली
साला दिल तोड के चली गयी
बीच रास्ते में मेरा हाथ छोड के चली गयी
पर जाने वाले को कौन रोक सकता है
क्योकि हाथो में तो आ गयी थी तु मेरे
पर तुझे इन लकीरो में लिखवा ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
जब से वो किसी और की हो गयी थी
याद आने लगे वो कसमे वो वादे
वो साथ जीने के वो साथ मरने के इरादे
कैसे बेखौफ होके तुने कहा था तुम्हारा साथ कभी ना छोडुंगी
ये सांसे बस तुम्हारे साथ और तुम पर तोडुगी
उसे याद होगा आज भी,मै कहा करता था तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है
आज वो किसी और के साथ है और खुश है
और मै चाह कर भी मुस्कुरा ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
तेरी याद ना आये इसलिये तुझे हर जगह से ब्लाँक कर दिया था
वो दरवाजा जो ले जाता था हमें उन मीठे लम्हो पे उसे लाँक कर दिया था
इस दरवाजो को कोशिश करी काफी लोगो ने खोलने की
पर हमने इसकी चाबी किसी को ना दी,क्योकि तुमने भी नही हमने भी नही
शायद तुम्हारी सारी सहेलियो ने हमारे साथ बेवफाई की
दिल में जलती रही एक आग तेरे जाने के बाद से
लोग काफी आये पर पर इस आग को कोई बुझा ना सका
पर शायद अपना किस्सा आगे बढना ही ना था
शायद तुझे मेरी दुल्हन बन के सजना ही ना था
तेरे नाम के बाद मेरा नाम आना ही ना था
हमने तेरे हाथो का बना खाना ,खाना ही ना था
क्योकि शादी के वादे तो कर लिये थे एक दुसरे से
पर मै तेरी माँग में अपने नाम का सिंदूर सजा ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
कौन केहता है हमने तुझे भुलाने की कोशिश नही करी
उन यादो के अदालत मे अपनी हाजिरी नही भरी
सब कर लिया देखकर काश तेरी हसीन तस्वीर मेरे जेहेन से हट जाती
ये राते ये तन्हा राते कट जाती
क्योकि सिगरेट शराब सब नशे कर लिये कोशिश करके
पर तेरी नशीली आँखो जितना कोई मुझे झुमा ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका
जब जब वो रिहाई लगती है
तब तब हमे जुदाई लगती है
उसके आने से मुस्कुराता था दिल मेरा
पेहले लगती थी जख्मो की दवाई
आज जख्मो की गेहराई लगती है
पुरे जहाँ की खुबसूरती उसमे समाई लगती है
उसके झूठ मे भी थोडी थोडी सच्चाई लगती है
दिल मासूम है मानता नही है
उसकी बफा में भी थोडी थोडी बेवफाई लगती है
तुझे पूजा था तेरे सामने सर झुकाया था
पर देखो तेरी बेवफाई के कारण मै तुझे खुदा बना ना सका
तुझे पा तो लिया था मैने,पर तुझे मै अपना बना ना सका

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