Poetry Details:-
“TANHAI” By Nidhi Narwal –इस पोस्ट में जो कविता प्रस्तुत की गयी है वो Nidhi Narwal के द्वारा लिखी एवं पेश की गयी है,इस कविता में रोज मर्रा की चुनौतियो के बाद की मन की अंतर्दशा को उकेरने की बहुत सुंदर ढ़ंग से कोशिश की गयी है,ये कविता Live By FNP Media यु टयुब चैनल पर उपलब्ध है।
हर पल मेरी ये तन्हाई काटती है मुझको
कई हिस्सो मे कमबख्त बाँटती है मुझको
एक शोर सुनायी देता है,जो सुन्न है
तन्हाई किसी गीत की एक अधुरी धुन है
मै हर वक्त घिरी रहती हुँ,तमाम लोगो की,तमाम यादो से
तमाम यादे जिनमे मै नही हुँ,मै इस कदर अकेली हुँ
मै लोगो के पैरो की धूल की तरह पीछे छोड़ी गयी हुँ
मै टुकड़ो मे बँट कर भी बार बार तोड़ी गयी हुँ
ये दुनिया कितनी बडी है ?इतनी बडी है कि
इसमे खो जाना तो बेहद आम बात है
ये दुनिया इतनी ज्यादा बडी है कि
इस दुनिया मे किसी के भी पास तुम्हे छोड़ कर चले जाने को
काफी से बहुत ज्यादा जगहये है
इस बडी सी दुनिया मे,मेरा एक कोना है
एक कोना….ये जितना खाली है उतना ही भरा है अंधेरो से
मेरे अपनो ने बक्शे है ये नही मिले है गैरो से
मेरे इर्द गिर्द पेहरा है,मेरे बीते कल का
जो मेरे आज को अंदर आने ही नही देता
मै कही पिछले दिनो मे बैठी हुँ बंद होकर
और सब आगे निकल गये है मुझे अकेला छोड़ कर
बहुत सहा है दिल ने,पर मेरे दिल में होंसले बहुत है
मै दिल को दिलासे मगर दूं भी तो कैसे?
इसके मेरे बीच मे अब फासले बहुत है
मै उस जगह पर बैठी हुँ,
जहाँ तक मै खुद भी कभी जा नही पाती
ये तन्हाई इतनी गहरी है,कि मै खुद को भी खुद से मिला नही पाती
ये तन्हाई जैसे कोई खायी हो,जिसमे कूद गयी है आवाज मेरी
तो अब जब बोलती हुँ तो लगता है बड़बडा रही हुँ
जो मेरी बात सुनने के लिये मौजूद तक नही है
मै उसे सब समझा रही हुँ समझे….