Poetry Detail
“Seekho” – Nidhi Narwal-इस पोस्ट में जो कविता प्रस्तुत की गयी है वो Nidhi Narwal के द्वारा लिखी एवं पेश की गयी है।
की हमें हर चीज से हर बात से हर इंसान से जितना हो सके ना उतना सीखना चाहिए
सीखो किसी से दिल लगाना सीखो
किसी पे अपने आप को तसल्ली से लूटना सीखो
पक्के वादे मत करो पक्के वादे मत करो पक्के इरादे करो
मोहब्बत करते हो तो मोहब्बत निभाना सीखो
अपनी बात पे अड जाना सीखो,बात संगीन हो तो घबराना सीखो
मत सीखो केवल निडर बनना कुछ चीजों से डर जाना सीखो
ये जिंदगी आसान नही होती,आसान होती तो क्या जिंदगी होती?
पर इस जिंदगी को काटने के वास्ते खुश रहना सीखो मुस्कुराना सीखो
हद से ज्यादा हिम्मत भी अच्छी नहीं होती
दिल टूट जाए कोई छूठ जाए या किसी बात पर रोना आए तो आंसू बहाना भी सीखो
पर वक्त के साथ आगे बाढ़ जाना सीखो,जहां पर जरूर हो वहां पर रुक जाना सीखो
किसी फूल को देख कर किल जाना सीखो और इस फूल से मिट्टी में मिल जाना सीखो
तारो को देखो टिमटिमाना सीखो,चांद को देखो अपने दाग दुनिया को दिखाना सीखो
कोई तुमसे ये कहे की तुम उसे अच्छे लगे तो उसकी बात पर प्यार से शर्माना सीखो
और कोई यह कहे की तुम ना काबिल हो,बेकार हो तो शख्स को चुप करना सीखो
अपनाना सीखो ,ठुकराना सीखो जहां पर इज्जत नहीं वहां से उठकर जाना सीखो
यार साथ निभाना सीखो,औरो का ही नही खुद का भी दौड़ के गले लगाना सीखो
अपने अपनो को अपने सपनो को और अपने दर्दो को भी
दुनिया जो तुम पर पत्थर उछाले उन पत्थरों से अपना घर सजना सीखो
मगर अगर जरूर आन पड़े तो तुम भी पत्थर उठाना सीखो
मगर मुकम्मल ख्वाबों के पत्थर,लफ्ज़ो के पत्थर
कोई नहीं समझता तुम्हारी बात ऐसे ही,अपनी बात को तुम समझाना सीखो
ऊंचे घने पेड़ों की तरह तूफान में झुक जाना सीखो,ग़र कुछ सच में करना है तुमको
तो अपने घर को छोड़ के आना सीखो,घर से दूर रहो ख्वाबों के खातिर
पर यार मां-बाप का फोन उठाना सीखो
बहुत छोटी सी है जिंदगी ,जिंदगी में हर जरूरी शख्स की सही जगह बनाना सीखो
इस जिंदगी को जिंदगी की तरह बिताना सीखो
कही पे वक्त से जाना सीखो,और कहीं से वक्त पर आना सीखो
यह शहर में गांव से आए हुए लोगों मां-बाप के पास घर लोट के जाना सीखो