Sapne – Ghazal on Dreams | Rajat Sood-“सपने में” कविता को Rajat Sood द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।
अभी बस इश्क करने का लगा इल्जाम सपने में
यहाँ पर लोग,क्या क्या कर चुके है काम सपने में
कई मजनू कभी इज़हार दिल का कर नही पाते
मगर मैं सोचता हुँ बेटियो का नाम सपने में
यहाँ पर लोग,क्या क्या कर चुके है काम सपने में
अगर मुमकिन है तो अपने सभी सपने रखो बूढ़े
समझ जाओ जवानी है बहोत बदनाम सपने में
हकीकत मे मना करते रहे है आज तक मुझको
मगर इक रोज वो खुद पी रहे थे जाम सपने में
यहाँ पर लोग,क्या क्या कर चुके है काम सपने में
जमीं पर बैठ कर कैसे,चमक जन्नत की दिखती है
तुम्हे मिलकर लगा जैसे ?गुजारी शाम सपने में
कहे हर माँ के बच्चे पाल लेना,एक सपना है
जिसे मिलता नही एक वक्त का आराम सपने में
यहाँ पर लोग,क्या क्या कर चुके है काम सपने में
जुनू की आग से सच कर दिखाना,आप सपनो को
महज सपनो को देना छोड़ दो,अंजाम सपने में
जमाने बाद सीता आज फिर रोती दिखी मुझको
बचा लो इस जहाँ को कह रहे थे राम सपने में
यहाँ पर लोग,क्या क्या कर चुके है काम सपने में
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