Sanwali Surat pe Mohan-सांवली सूरत पे मोहन-Sanju Sharma

Poetry Details:-

Sanwali Surat pe Mohan-सांवली सूरत पे मोहन-इस भजन को Sanju Sharma ने गाया है और भजन को Purushottam Ji Sharma (Khatuwale) के द्वारा लिखा गया है ।

सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया-२
दिल दिवाना हो गया,मेरा दिल दिवाना हो गया-२
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया-२
एक तो तेरे नैन तिरछे,दूसरा काजल लगा-२
तीसरा नजरे मिलाना, दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तेर ओंठ पतले,दूसरा लाली लगी-२
तीसरा तेरा मुस्कुराना,दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तेरे हाथ कोमल,दूसरा मेहदी लगी-२
तीसरा मुरली बजाना, दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तेरे पांव नाजुक,दूसरा पायल बंधी-२
तीसरा घुंघरु बजाना,दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तेरे भोग छप्पन,दूसरा माखन धरा-२
तीसरा खिचड़े का खाना, दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तेरे साथ राधा,दूसरा रुकमन खड़ी-२
तीसरा मीरा का आना,दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
एक तो तुम देवता हो,दूसरा प्रियतम मेरे-२
तीसरा सपनो मे आना, दिल दिवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया
दिल दिवाना हो गया,मेरा दिल दिवाना हो गया-२
सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया-२

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