SAJNA SAWARNA APNI SHAADI KE LIYE || Lekhakrang || Karan Gautam

Poetry Details:-

SAJNA SAWARNA APNI SHAADI KE LIYE || Lekhakrang || Karan Gautam-इस पोस्ट में कुछ शायरियाँ और एक नज्म प्रस्तुत की गयी है ,जो कि Karan Gautam द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।

मेरी झूठी कसमे खा कर,मेरे हक मे दुआ ना कर
दर्द-ए-दिल बस पूछ ले मेरा बेशक मुझको छुआ ना कर

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तुम्हारे शहर मे जिस दिन बरसात आती होगी
मै जानना चाहता हुँ क्या मेरी याद आती होगी
अब जब किसी से मिलने जाती होगी तुम
क्या आज भी वो सहेली तुम्हारे साथ आती होगी

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तुमसे नाराज हुआ कैसे जाये?बिन पूछे तुम्हे छुआ कैसे जाये?
अब प्यासे को ही आना पड़ेगा कुऐ पर चल कर
भला प्यासे के पास कुंआ कैसे जाये ?

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एक चेहरे के आगे कोई चेहरा दिखाई नही देता
तेरे नाम के सिवा कुछ ओर सुनायी नही देता
हम जुदा हो गये तो तुम किसी ओर की हो जाओगी
नही,मेरा दिल गवाही नही देता

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मुझे प्यारा ही वो शख्स लगता है
आईने जिसका अक्स लगता है
तुम भी चूम लो जाना देर मत करो
चुमने मे कोन सा वक्त लगता है

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रास्तो मे बेशक कितनी भी दूरी रही थी
पर हर पल तू मेरे लिये जरूरी रही थी
आज तक एक सवाल जेहन से जाता नही मेरे
खुद छोड़ा था तूने ,या कोई मजबूरी रही थी

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आंसुओ से भरा एक जाम मिलेगा तुम्हे
मुझ संग बेवफाई का अंजाम मिलेगा तुम्हे
वजह क्या है सजा क्या दूं ?पता नही
पर इनाम के हकदार हो,इनाम मिलेगा तुम्हे

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जिस दिन सजना संवरना अपनी शादी के लिये
कोई कसर मत छोड़ना मेरी बर्बादी के लिये
बस मेरे दिल को रिहा कर देना अपने सीने से तुम
बेचारा कब से तड़प रहा है?अजादी के लिये
तुम्हारी चुड़ियाँ छन छनायेगी जब,मेरा नाम गुनगुनायेगी जब
उसकी आवाज अपने शोहर से छुपा लेना,वरना जिंदगी तन्हा ही बिता लेना
या कर सको तो कर देना खामोश अपने पैरो की पायल को
के मेरे नाम का शोर फिर कभी मचा लेना
तुम्हारे माथे का ठीका बेशक तुम्हारी शान रहेगा
रौनक देख चेहरे की हर शख्स हैरान रहेगा
पर अपने अंदर के इंसान को भी क्या छुपा सकोगी तुम?
जो सिर्फ मुझे देखने के लिये ही परेशान रहेगा
माना शुरुआती दौर तुम्हे अच्छा लगेगा
नये रिशते बनेगे हर शख्स सच्चा लगेगा
मेरी मोहब्बत को भी अपने दिल से मिटा दोगी तुम
अपना सब कुछ अपने शोहर पर लुटा दोगी तुम
पर एक रात मेरा नाम तुम्हारी जुंबा आयेगा
तुम देखना मेरी जान सब कुछ बता दोगी तुम
यहाँ तक की ये सब भी बता दोगी..
और तो और वो सब भी बता दोगी..
बता दोगी, इस शादी से तुम्हे ही कोई एतराज नही था
तुम्हारी ही गल्ती थी सारी मै दगा बाज नही था
इस नज्म को सुनकर ,अगर इरादा बदले तुम्हारा
उससे किया हर वादा बदले तुम्हारा
तो मै पीछे के दरवाजे पर इंतजार तुम्हारा करुंगा
तुम बस समझ जा्ना,मै बस आँखो से इशारा करुंगा
और इतने पर भी अगर मुझ पर एतबार नही है
सिर्फ एक बार कह दो के मुझसे प्यार नही है
तो मै दोबारा कभी तुम्हे सताऊंगा नही
तोड़ दूंगा हर नाता उस खुदा से
उसकी दहलीज पर भी कभी जाऊंगा नही
मुझे सुनने वाले मुकर्रर मुकर्रर कहते रहे बेशक लाखभर
तुम्हारी कसम मै इस नज्म को दोबारा सुनाऊंगा नही

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