MERI JAAN MERI KAMAR PAKAD LO ANDHERA HAI-मेरी जान मेरी कमर पकड़ लो अंधेरा है–इस कविता को KANHA KAMBOJ ने लिखा एवं प्रस्तुत लिया है।
तुम्हारा हर जख्म हम गवारा केहते है
है यही सच लो हम दोबारा केहते है
जान नही मिलना तो साफ कह दीजिऐ
नजर झुकाने को तो हम इशारा केहते है
जान थोड़ा संभलो अंधेरा है
या कमर से जकड़ लो अंधेरा है
फिर कभी सुनाना डरावना किस्सा कोई
फिलहाल मेरी बात समझ लो अंधेरा है
यु बेबात ना लड कर जाओ दूर हमसे
यार पास रह कर झगड़ लो अंधेरा है
मै उसे गले लगाने वाला था वो चिल्ला कर बोली
चुपचाप बस हाथ पकड़ लो अंधेरा है
जिस मासूम को सिखाया कहानी लिखना हमने
वो हमे सिखा रहा है किरदार बदल लो अंधेरा है
फिर कभी करना इधर उधर की बात कान्हा
फिलहाल तुम अपने मन की करो अंधेरा है
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