Mehek Utha Hai Aangan Iss Khabar Se -महक उठा है आँगन इस ख़बर से –इस पोस्ट में JOHN ELIA जी के द्वारा लिखी गयी ,गज़ल पेश की गयी है ,जो कि JOHN ELIA जी के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
महक उठा है आँगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से
जुदाई ने उसे देखा सर-ए-बाम
दरीचे पर शफ़क़ के रंग बरसे
मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब दीवार पर से
गिला है एक गली से शहर-ए-दिल की
मैं लड़ता फिर रहा हूँ शहर भर से
उसे देखे ज़माने भर का ये चाँद
हमारी चाँदनी छाए तो तरसे
मेरे मानन गुज़रा कर मेरी जान
कभी तू खुद भी अपनी रहगुज़र से
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