Poetry Details:-
Mat Kar Maya Ko Ahankar- मत कर माया को अहंकार-इस भजन को गाया है Shabnam Virmani जी ने और इनका साथ Namrata Kartik, Swagat Shivakumar ने दिया है।
Rajasthan Kabir Yatra एक सात दिन का लोक गीत उत्सव होता है जो राजस्थान मे आयोजित किया जाता है,इस उत्सव मे कबीर दास जी,बुल्ले शाह,मीरा बाई और अन्य संतो के भजन को गाया जाता है।
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया घार से काची-२
काया घार से काची
जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया धूल हो जासी
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को घमंड
काया घार से काची
ऐसा सख्त था महाराज
जिनका मुलको मे राज
जिन घर झूलता हाथी-२
जिन घर झूलता हाथी
जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया तेरी धूल हो जासी
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया घार से काची
भरिया सिन्धडा में तेल
जहाँ से रच्यो है सब खेल
जल रही दिया की बाती-२
जल रही दिया की बाती
जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया तेरी धूल हो जासी
घुट गया सिन्धडा रो तेल
बिखर गया सब निज खेल
बुझ गयी दिया की बाती-२
बुझ गयी दिया की बाती
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया धूल हो जासी
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया घार से काची
काया घार से काची
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया तेरी धूल हो जासी
झूठा माई थारो बाप
झुठो सकल परिवार
झूठा कूटता छाती-२
झूठा कूटता छाती
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया धूल हो जासी
लाल में था लाल
तेरा कौन क्या हवाल
जिनको जम ले जासी-२
जिनको जम ले जासी
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया तेरी धूल हो जासी
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया घार से काची
बोल्या भवानी हो नाथ
गुरुजी ने सर पे धरया हाथ
जिनसे मुक्ति हो जासी-२
जिनसे मुक्ति हो जासी
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया धूल हो जासी
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया घार से काची
काया घार से काची
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाये
झपका पवन का लग जाये
काया तेरी धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी-२