LADKA THA MAIN MUJHE MUSKURANA PADA || SURAJ TIWARI “ANJANA’ ||VOICE OF SURAT

Poetry Details

LADKA THA MAIN MUJHE MUSKURANA PADA || SURAJ TIWARI “ANJANA’ || POETRY || VOICE OF SURAT-इस पोस्ट मे कुछ कविताये प्रस्तुत की गयी है जो कि SURAJ TIWARI “ANJANA’ जी के द्वारा लिखी और प्रस्तुत की गयी है।

मेरे कुछ ख्वावो को मुझे जलाना पड़ा
कुछ ख्वाहिशो को भीतर ही दबाना पड़ा
भरी थी आँखे,मगर किसको फिकर थी
मैं लड़का था सो मुझे मुस्कुराना पड़ा
जख्म दिल के दे रहे थे खूब दर्द मगर
जिसने भी पूछा “अच्छा हूं ” बताना पड़ा
हालात थे कुछ ऐसे हम करते भी तो क्या
घर के लिये घर को ही छोड़ जाना पड़ा
मैं लड़का था सो मुझे मुस्कुराना पड़ा
नये सहर मे भटकते परिंदो सा था मैं
कभी रूखा सूखा,कभी भूखा ही सो जाना पड़ा
गलती थी सिर्फ इतनी के लड़का था मैं
वो थी लड़की सो मुझे मार खाना पड़ा
दरिंदा,जानवर कितने दाग दामन पे लगे
गलत ना होकर भी,सारे दागो को उठाना पड़ा
मैं लड़का था सो मुझे मुस्कुराना पड़ा
तन्हाईयो ने कितनी दफा सताया अक्सर
थी जिम्मेदारी तो खुद को समझाना पड़ा
था सबका दबाब कुछ तो करने का हम पर
भीतर जो था बच्चा,उसका गला दबा पड़ा
मैं लड़का था सो मुझे मुस्कुराना पड़ा
मैं लड़का था सो मुझे खुद को भूल जाना पड़ा
मैं लड़का था सो मुझे मुस्कुराना पड़ा

 

घर वार जवानी सब दांव पर,एक सपने के लिये
मार डालेगी एक दिन मेरी ये तिशनगी मुझको
बुझा देता हुँ,चिरागो को अंधेरा ही है हमसाया मेरा
तीरगी के सिवाय नही रास आती है रोशनी मुझको
है लड़का तूने अब तक कुछ भी हासिल ना किया
घाव पहुचाती है जमाने की ये बेरुखी मुझको
तेरा मकाम है क्या?,नाम तेरी पहचान है क्या?
करके गढ्ढा उसमे रोज दुनिया गिराती है मुझको
बस थोड़ी सी मेहनत ओर थोड़ा सा सबर रहगुजर
एक सपने के लिये,एक सपना जगाती है मुझको

 

अपनी पुरखो की मिट्टी छोड़कर भला कौन जाना चाहता है
ये कौन है ?जो बंदूक की नोंक पर मुझे घर से भगाना चाहता है
हमने तो बस यही सीखा “वसुदैव कुटुंबकम”
ये कौन है जो चिल्लाकर मुझे काफिर बताना चाहता है?

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