Koi Toh Ho – कोई तो हो-Nidhi Narwal

Poetry Details:-

“Koi Toh Ho” – कोई तो होइस कविता को Nidhi Narwal लिखा और प्रस्तुत किया है, Spill Poetry यु टयुब चैनल पर इस रचना को प्रदर्शित किया गया है।

कोई तो हो ,जो सुने ,तो बस सुने मेरी निगाह की
क्योकि जुबांन पर अक्सर ताले और नजरों में बोहोत सारी कहानिया रखती हु मै
वो मुझसे बात करने आये और कहे मुझसे नजरे मिलाओ
फिर हो युं वो कहे,कि कुछ कहना चाहती हो जो नही केहना चाहती वो तो मैने सुन लिया
दिल तो हर जगह से टूटा हुआ है मेरा,दिल के हर कोने हर दिवार में छेद है
मगर कोई तो हो जो झाँक कर अंदर आने में दिलचस्पी रखे,झाँक कर भागने मे नही
दिल तो ढेर हो चुका एक घर है,जो मरम्मत नही माँगता बस सोहबत माँगता है
उस शक्स की जो की इसकी टूटी हुई दिवारो के अंदर आकर जोर जोर से ये बताये
कि इसकी बची कुची दिवारे मैली है,जो रंगी जा सकती है
तस्वीरे टंगी है जो पुरानी जो अब भी फैकी जा सकती है
वैसे काफी नुकसान हुआ है दरो दिवारो के टूट से
मगर इसकी बुनियाद अब भी सलामत है
कोई तो हो,जो देखे हो देखे बस मुझको
कहे मुझसे से कि ये मुस्कुराहट खुबसुरत तो है,पर खास नही
खास है ये जख्म जो तुने कमाये है,पेहने नही
कहे मुझसे कि ये खुशी मेरी है मै नही
कहे मुझसे कि जो मै दिखती हु ना, वो मै हु नही
कहे मुझसे कि मै अपनी नज्मों को अपने जेहेन के आगे का पर्दा बनाकर रखती हु
पर्दा, जिसके आर पार दिखता है,
कहे मुझसे कि मेरी मुस्कुराहटे ,बस मेरी नाकाम कोशिशे है अपने जज्बात पर लगाम लगाने क़ी
कहे मुझसे कि ये नकाब उतार कर रख दे तु और आईना देख महज खुद को देखने के लिये छुपाने के लिए नही
कहे मुझसे कि तु दर्द का चेहरा है ,दरारो से भरा हुआ बिगडा हुआ
दर्द, जो हसीन है इश्क है
कहे मुझसे कि तु दर्द है हसीन है इश्क है

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