Kafeel Rana Latest poetry –इस पोस्ट में Kafeel Rana की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि Kafeel Rana के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
जब से तू मेरे साथ चल रहा है
ऐसा लगता है सब बदल रहा है
तुझको छूना भी क्या मुसीबत है
दोस्त,ये हाथ कल से जल रहा है
उसके सोने पे रात होती है
उसके उठने पे दिन निकल रहा है
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आँख आँसू को ऐसे रस्ता देती है
जैसे रेत गुजरने दरिया देती है
कोई भी उसको जीत नही पाया अब तक
वैसे वो हर एक को मौका देती है
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रात दिन तेरे साथ कटते थे
यार अब तुझसे बात से भी गये
ये मोहब्बत भी किन दिनो मे हुई
दिल मिलाने थे हाथ से भी गये
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दूर इक सितारा है और वो हमारा है
आँख तक नही लगती,कोई इतना प्यारा है
छूके देखना उसको,क्या अजब नजारा है
तीर आते रहते थे,फूल किसने मारा है?
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शुक्र है वो नजर तो आने लगी
ये उदासी कही ठिकाने लगी
छुप के मिलना भी रायगां ही गया
उसकी खुशबू बदन से आने लगी
तू मुझे रोक भी नही रहा है
और ये बस भी दूर जाने लगी
पहले तो दूर रखा दिल से मुझे
फिर वो खुद रास्ता दिखाने लगी
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सभी के साथ दिखना भी,मगर सबसे जुदा रहना भी है उसको
उदासी साथ भी रखनी है और तस्वीर मे हँसना भी है उसको
वो कोई ख्वाव थोड़ी था,के कुछ लम्हो मे आँखे भूल ही जाती
हमे दरिया बताते है के उसकी याद मे रोना भी है उसको
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अपनी बांहो से क्युं हटाऊँ उसे
सो रहा है तो क्यु जगाऊँ उसे
जो भी मिलाता है उसका पूछता है
यार किस किस मै छुपाऊँ उसे
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