Poetry Details:-
Itni bhi kahan teri okaat rahi hai-इतनी भी कहा तेरी औकात रही है–गजल को kanha kamboj ने लिखा और प्रस्तुत किया है,ये गजल Alfaaz Dil ke यु ट्युब चैनल पर प्रदर्शित किया गया है।
जैसे चलाता हु वैसे नही चलता
कैसे बताऊ यार तुम्हे ऐसे नही चलता
खुद को मेरा साया बताता है
फिर क्यु तु मेरे जैसे नही चलता
मुझे खिलौना समझती हो तो ये बात भी सुन लो
अब ये खिलौना पेहले जैसे नही चलता
तेरे इश्क मे हु बेबस इतना मै
जवान बेटे पर बाप का हाथ जैसे नही चलता
दर्द,दिमाग,वार ये शायद जंग है
मेरी जाँ मोहब्बत मे तो ऐसे नही चलता
बस यही सब बाते है इस पूरी गजल मे कान्हा
कभी ऐसे नही चलता कभी वैसे नही चलता
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खिलते हुये फूलो के रंग चुराने है
मुझे ये मौसम तेरे संग चुराने है
तेरी जैसी मूरत एक और बनानी है
मुझे ये तेरे सभी अंग चुराने है
तेरी आखो की नमी ही चुरा लेनी है मैने
तेरे आसु करके तुझे तंग चुरा लेने है
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जंगल से एक सजर काट रहा हु मै
यानि किसी का घर काट रहा हु मै
आइने मे दर्ज करता रहा हरकते अपनी
ये रात मै खुद से मिल कर काट रहा हु मै
मेरा चेहरा बता रहा था गुमानियत मेरी
किसी बेहरे ने कहा बात काट रहा हु मै
जब से सुना है तेरे ख्वाव किसी ओर को भी आते है
जब से ये रात जैसे तैसे काट रहा हु मै
अपनी पेहचान थोडी पर्दे मे रखो कान्हा
लिखकर ये पूरी गजल काट रहा हु मै
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मेरे लेहजे से दब गयी वो बात तेरे हक मे कही थी मैने जो बात
तेरी एक नही से खामोश हो गया मै,केहने को तो थी मुझ पर सौ बात
तु सोच के बस तुझसे कही है,मैने किसी से नही कही जो वो बात
तु किसी से कर मुझे एतराज नही,ताल्लुक गर मुझसे रखती हो वो बात
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बात मुझे मत बता क्या बात रही है
रेह साथ उसके साथ जिसके रात रही है
जरा भी ना हिचकिचाई होते हुए बे आबरू
जरा बता तेरे जिस्म से ओर कितनो की मुलाकात रही है
वस्ल के किस्से बस एक ख्वाव बन कर रेह गये
मेरे हाथो मे तेरे यादो की हवालात रही है
गैर के साथ भिगती रही रात भर बडी बेबस वो बरसात रही है
वक्त के चलते हो जायेगा सब ठीक
अंत भला क्या होगा बुरी जिसकी इतनी शुरुआत रही है
बदन के निशा बताये गये जख्म पुराने
मोहतरमा कमजोर कहा मेरी इतनी यादाशत रही है
गल्ती मेरी येह रही कि तुझे सर पर बैठा लिया
वरना कदमो लायक भी कहा तेरी औकात रही है
तेरे इश्क मे कर लिया खुद को बदनाम इतना
जरा पूछ दुनिया से कैसी कान्हा की हयात रही है