Gir Jaana Mera Ant Nahi – Shubham Shyam – Hindi Poetry-इस वीर रस की कविता को लिखा एवं प्रस्तुत किया है,Shubham Shyam जी ने |
पर में परवाज़ की शक्ति है
मन में आगाज़ की शक्ति है
जो चोंच में तिनका डाले ,
डाली पर दो आँखे तकती है
वो परख रही है,
तुफां के बाजू में कितनी ताकत है?
वो देख रही है दूर दूर तक
नाम मात्र की राहत है
पैरो से ढक्का डाली पर,
पंखो से हवा ढकेली है
वो आसमान में तुफानो से
लड़ती जान अकेली है
पर लगी सांस जब फूलने तो
तो तुफां ने मौका लपक लिया
आसमान की उम्मीदो को
ला धरती पर पटक दिया
पर झाड़ रही है धूल परो से
रगो में गजब रवानी है
चोट खाने के बावजूद
उड़ने की ललक पुरानी है
तब रखो घोषणा अपनी-अपनी
अपने-अपने कंठो में
गलत करुंगा साबित सबको,
यहाँ कोई अरिहंत नही
गिर जाना मेरा अंत नही
मुखड़े पर धूल लगी माना,
माथा फूटा माना लेकिन
गालो पर थप्पड़ खाये है,
जबड़ा टूटा माना लेकिन
माना कि आंते ऐंठ गयी
पसलियों से लहू निकलता है
घिस गया है कंकर में घुटना
और मिर्च सरीखे जलता है
माना कि सांसे उखड़ रही
और धक्का लगता धड़कन से
लो मान लिया कि काँप गया है
पूर्ण बदन अंर्तमन से
पर आँखो से अंगारे,
मैं नथुनो से तुफां लाऊंगा
मैं गिर-गिर कर भी धरती पर
हर बार खड़ा हो जाऊंगा
मुठ्ठी में भींच लिया तारा
तुम नगर में ढोल पिटा दो जी
कि अंधेरे हो लाख घने पर
अंधेरे अनंत नही
गिर जाना मेरा अंत नही
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