Ek Savera-एक सवेरा-By Lovely Sharma

Poetry Details:-

Ek Savera-एक सवेरा-इस पोस्ट में कविता पेश की गयी है जिसे लिखा एवं प्रस्तुत Lovely Sharma ने किया है।

एक सवेरा अंधेरो से मुँह मोड़ गया
दहलीज लांघ कर वो शख्स घर छोड़ गया
आसमा मे रहना था उसे वो मेरा जहाँ छोड़ गया
धड़कता जो कभी दिल मे हमारे,बेकद्रा मेरा दिल ही तोड़ गया
रहता अगर आस पास तो बतला देते
जालिम मेरा कच्चा मकां ही तोड़ गया
मै शिकवा करती भी,तो मै किससे करती?
बेबसी के आलम में मेरा खुदा ही तो छोड़ गया
एक सवेरा अंधेरो से मुँह मोड़ गया
दहलीज लांघ कर वो शख्स घर छोड़ गया
कूचो मे यार के,जो निकली तड़पते हुये दिखी कुछ यादे पुरानी
पास गयी तो उन्होने भी जीना छोड़ दिया
परिंदे उड़ गये सब जो भी निगाहो मे थे
मुझे मौत की कैद मे देख शिकारी ने भी तीर छोड़ दिया
क्या बयां करु मे किस्सा अपनी जुदाई का
काँच सी जिंदगी मे वो मुझे ही तोड़ गया
चिड़ सी हो गयी यारो,खुद की शख्सीयत से मुझे
यारो मैने सजना संवरना ही छोड़ दिया
एक सवेरा अंधेरो से मुँह मोड़ गया
दहलीज लांघ कर वो शख्स घर छोड़ गया
आसमा मे रहना था उसे वो मेरा जहाँ छोड़ गया

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