Chalo Tum Chhod Do Mujhko-चलो तुम छोड़ दो मुझको-Suraj Sharma

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Chalo Tum Chhod Do Mujhko-चलो तुम छोड़ दो मुझको-ये सुंदर कविता को लिखा एवं प्रस्तुत Suraj Sharma ने किया है।

चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
मेरे बदले तू हँस लेना,तेरे बदले मै रो लूँगा
तेरे हिस्से के सारे गम,मुझे सौगात दे जाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
क्या हो ,जो तेरी हर सहर खुशबू मे ना महकू
क्या हो तेरे बिन मेरी मेरी राते ना कट पाये
क्या हो जो मेरे रात दिन पूरे बदल जाये
क्या जो मेरे चेहरे से रंगत ये उड़ जाये
सोचो जरा तुम ही तब मेरा हाल क्या होगा
जाते जाते बस इतना जबाब दे जाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
चलो मै पास रख लूंगा तेरी बाते तेरे किस्से
तेरी बाते तेरे किस्से किसी के साथ कर लूगा
तुझे हर्फो मे लिख लूंगा,तुझे हर्फो मे गा लूंगा
चलो हँस लूंगा रो लूंगा,तुझे मै याद कर लूंगा
मै तस्वीर को तेरी,चलो दिल से लगा लूंगा
कभी मै रूठ जाऊंगा,कभी दिल को मना लूंगा
मगर कब तक ये झूठी सी तस्सली दिल को देनी है
मगर कब तक मै तड़पूगा जरा इतना तो समझाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
तेरे आने से पहले हर कमी पूरी सी लगती थी
अब तेरे कूचे से निकलू भी तो वो मंजर कहाँ ढूंढू?
ना वो पूरी कमी होती,ना कूचा तेरा खाली
अब तुम्ही कहो जाना,मै अपना घर कहाँ ढूंढू
तुम्हे हक है बना दो या मिटा डालो,तुम तो जान हो मेरी
चलो बेजान कर जाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
सिसकिया और बाकि है मेरे खामोश होने मे
करवटे और बाकि है,गहरी नींद सोने में
जरा खामोश होने दो ,गहरी नींद सोने दो
अभी तो साँस बाकि है,अभी तो आस बाकि है
ये सूरज नही ड़ूबा और लंबी रात बाकि है
ये आस, ये साँसे जरा तुम टूट जाने दो
ये जलता हुआ रातो का सूरज डूब जाने दो
किनारे पे खड़े होकर रकीबो की तरह जाना
मेरा हश्र क्या होगा तमाशा देख के जाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ
बड़ा नाकाम सा हुँ मै,के अब बेकाम रहता हुँ
मै तेरी बात करने के सिवा कुछ भी नही करता
तेरे किस्सो मे होता हुँ,तो खुद को भूल जाता हुँ
मै तुझको याद करने के सिवा कुछ भी नही करता
मेरे हिस्से मे करने को यही एक काम बाकि है
ना अब कुछ रास आता है,ना मंजर हसी भाता
अब तेरे सिवा जाना,मै अपना काम क्या ढूंढू
मुझे तुमसे मोहब्बत के सिवा कुछ भी नही आता
सहारा छिन लो ये भी,चलो बेकाम कर जाओ
चलो तुम छोड़ दो मुझको चलो आजाद हो जाओ
मुझे बर्बाद कर दो तुम, चलो आबाद हो जाओ


तुझे गजलो मे लिख लिख कर तुझे लोगो मे गाता हुँ
महफिल मे बैठू मै कभी जो जाम भर भर के
देख..देख तेरा नाकाम करना भी मेरे क्या खूब काम आया
मै मशहूर होता हुँ तुझे बदनाम कर कर के

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