Kushal Dauneria in ‪@PoemandKahaniyan‬ ‘s Grand Mushayra

Poetry Details

इस पोस्ट कुछ शायरियो को प्रस्तुत किया है,जो कि Kushal Dauneria जी द्वारा स्वयं लिखा एवं प्रस्तुत किया है

नए लड़के डराए जाते हैं उसके किस्से सुनाए जाते हैं
अपने तू घर के आगे लिखवा दे यहां पागल बनाए जाते हैं

छोड़कर जाने का दस्तूर नहीं होता था
कोई भी जख्म हो, नासूर नहीं होता था
मेरे भी होंठ पर सिगरेट नहीं होती थी
उसकी भी मांग में सिंदूर नहीं होता था
औरतें प्यार में तब शौक नहीं रखती थी
आदमी इश्क में मजदूर नहीं होता था

हर तरफ चलता है कानून उसका
दिल्ली उसी की है रंगून उसका
जिस्म से आ गई खुशबू उसकी
पीठ पर लग गया नाखून उसका
यहां तुम देखना रुतबा हमारा
हमारी रेत है दरिया हमारा
किसी से कल पिताजी का रहे थे
मोहब्बत खा गई लड़का हमारा
हमें रुकवानी थी शादी किसी की
नहीं लग पाया था वीजा हमारा

दलदल थी मेरी आंख इसे झील कर दिया
उसने मेरे चिराग को किंदील कर दिया
जादू था उसका इश्क की मुझ हसते खेलते
लड़के को एक बूढ़े में तब्दील कर दिया
तुमने तो पहले दिन ही उसे चूम कर ‘कुशल’
पिक्चर का पहला सीन ही अश्लील कर दिया

चल गया होगा पता ये आपको
बेवफा कहते हैं लड़के आपको
एक जरा से हुस्न पर इतनी अकड़
तू समझती क्या है अपने आप को ?
मुफ्त में दिल तोड़ते हो या फिर
इस काम के मिलते हैं पैसे आपको

जिस शाम उसको ट्रेन में बैठ कर आया था
मैं उसको उसके प्यार से मिलवा कर आया था
उसकी बसी बसाई मै दुनिया उजड़ कर
जो खा नहीं सका उसे फैला कर आया था
जितने की बात मुझे अभी कर रही हो तुम
इतना में पिछले इश्क में ठुकरा के आया था

ना देखूं तो जहां खामोश कितना लग रहा है
जो देखूं तो तमाशे का तमाशा लग रहा है
मैं एक तस्वीर लोगों को दिखाकर पूछता हूं
यह लड़की बेवफा होगी तुम्हें क्या लग रहा है ?
सहम कर देखती है मेम सहाब आ ना जाए
पहनकर कह रही है हार अच्छा लग रहा है
मेरे भाई मेरे जाने का सदमा झेल लेंगे
मुझे रह रह के मेरे दोस्तों का लग रहा है
मैं अगले साल से टूटे दिलों को जोड़ दूंगा
मशीने आ गई है कारखाना लग रहा है

हसीन लड़कियों के जाल में नहीं आते
हम ऐसे लोग किसी चाल में नहीं आते
कुछ एक हादसों से पहले हमको लगता था
दरिंदे आदमी की खाल में नहीं आते

अपने बदन पर घाव बनाया करता था
मैं बस उसका हाथ बटाया करता था
सूनी सड़क पर गाड़ी तेज चला कर मैं
पेड़ों की रफ्तार बढ़ाया करता था
चिलम लगाकर बैठता था और लोगों को
सिगरेट के नुकसान गिनाया करता था

जो भी अंदेशा था वह सच निकला
शोर मचाना था शोर मच निकला
छिप गई बात हाथ कटने की
खून मेंहदी के साथ रच निकला
सोचता हूं वह एन मौके पर
कैसे मेरी हवस से बच निकला ?
दुख तो यह है कि तेरे बारे में
जहां से जो सुना वह सच निकला

नये जख्मो का नया सिलसिला नही चाहता
मै इसीलिये उसे देखना नही चाहता
वो बस इतना कह दे कि इसमें,उसकी ही मर्जी है
यहा खुद भी मैं ,कोई मसला नही चाहता
मुझे हाथ से बड़ी नाजुक ही से उतार दे
मैं तेरी कलाई्यो को चीरना नहीं चाहता
अलग हुये कई साल हो गये है मगर
हिसाब इश्क का करना था तो बुलाई है हजारों काम किए होंगे
उसका कुछ भी नहीं है बदन बदन लगा रखा है जब से आई है

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