Woh Aaj Nahi Toh Kal Hoga- वो आज नही तो कल होगा- Shubham Shyam – इस उत्तम कविता को लिखा एवं प्रस्तुत किया है,Shubham Shyam जी ने |
हर इक संकट का हल होगा
वो आज नही तो कल होगा
माना है कि है अंधेर बहोत
और चारो ओर नाकामी है
माना कि थक के टूट रहे
और सफर अभी दूरगामी है
जीवन के आपाधापी में
जीने का टिकाना छूट गया
माना कि थक गये सपनो का
नींदो में आना छूट गया
माना कि हिम्मत टूट गयी
आँखो मे निराशा छायी है
माना कि चाँद पे ग्रहन है
और रात अभी गहराई है
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
बस कर्म तुम्हारा कल होगा
और कर्म में अगर सच्चाई है
तो कर्म कहाँ निष्फल होगा
हर इक संकट का हल होगा
वो आज नही तो कल होगा
लोहा जितना तपता है
उतनी ही ताकत भरता है
सोने को जितनी आग लगे
वो उतना प्रखर निखरता है
हीरे पर जितनी धार लगे
वो उतना खूब चमकता है
मिट्टी का बर्तन पकता है
तब धुन पर खूब खनकता है
सूरज जैसा बनना है
तो सूरज जितना जलना होगा
नदियो सा आदर पाना है
तो पर्वत छोड़ निकलना होगा
और हम आदम के बेटे है
क्युं सोचे राह सरल होगा?
कुछ ज्यादा वक्त लगेगा
पर संघर्ष जरूर सफल होगा
हर इक संकट का हल होगा
वो आज नही तो कल होगा
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