Poetry Details
Tehzeeb Hafi| Sargodha Medical College|New Mushaira २०२२-इस पोस्ट मे कुछ नग्मे और शायरियाँ पेश की गयी है जो कि Tehzeeb Hafi जी के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है
जेहन से यादो के लशकर जा चुके
वो मेरी मेहफिल से उठकर जा चुके
मेरा दिल भी जैसे पाकिस्तान है
सब हकुमत करके बाहर जा चुके
जब से उसने खेंचा है,खिड़की का पर्दा एक तरफ
उसका कमरा एक तरफ है,बाकि दुनिया एक तरफ
युं आज भी तेरा दुख दिल देहला देता है,लेकिन
तुझसे बिछड़ जाने के बाद का पहला हफ्ता एक तरफ
मैने अब तक जितने भी लोगो मे खुद को बाँटा है
बचपन से रखता आया हुँ,तेरा हिस्सा एक तरफ
एक तरफ मुझे जल्दी है,उसके दिल मे घर करने की
एक तरफ वो कर देता है,रफता रफता एक तरफ
तेरी आँखो ने मुझसे मेरी खुद्दारी छीनी वरना
पांव की ठोकर से कर देता था,मै दुनिया एक तरफ
मेरी मर्जी थी मै ज़र्रे चुनता या लहरे चुनता
उसने दरिया एक तरफ रखा और सेहरा एक तरफ
हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गये, हिज्र से बचने के मंतर आ गये
मैने तुमको अंदर आने का कहा,तुम तो मेरे दिल के अंदर आ गये
एक ही औरत को दुनिया मान कर,इतना घुमा हुँ के चक्कर आ गये
इम्तिहाने इश्क मुश्किल था मगर,नक्ल करके अच्छे नंबर आ गये
मै तुझे तन्हा समझता मगर,तेरे कहने पर तो लशकर आ गये
तेरे कु्छ आशिक तो गंगाराम है,और जो बाक़ी थे बिस्तर आ गए
तपते सेहराओ मे सबके सर पर आँचल हो गया
उसने जुल्फे खोल दी और मस्सला हल हो गया
आँख जैसे तुझको रुखसत करके पत्थर हो गयी
हाथ तेरी छतरियाँ थामे हुये श्ल हो गया
बादलो मे उड़ रहा था मै वो जब तक साथ था
एक दिन वो मुझसे बिछड़ा और मै पैदल हो गया
मैने जो कुछ भी सोचा हुआ है,मै वो वक्त आने पे कर जाऊंगा
तुम मुझे ज़हर लगते हो और मै किसी दिन तुम्हे पी के मर जाऊंगा
तू तो बीनाई है मेरी,तेरे अलावा मुझे कुछ भी दिखता नही
मैने तुझको अगर तेरे घर पे उतारा तो मै कैसे घर जाऊंगा?
मै खला हुँ,खलाओ का नेमुल्बदल खुद खला है तुम्हे क्या पता?
मै तुम्हारी तरह कोई खाली जगह तो नही हुँ कि भर जाऊंगा
चाहता हुँ तुम्हे और बोहोत चाहता हुँ, तुम्हे खुद भी मालूम है
हाँ..अगर मुझसे पूछा किसी ने तो मै सीधा मुँह पे मुकर जाऊंगा
मेरे नाम से क्या मतलब है तुम्हे,मिट जायेगा या रह जाता है
जब तुमने ही साथ नही रहना,फिर पीछे क्या रह जाता है?
मेरे पास आने तक ओर किसी की याद उसे खा जाती है
वो मुझ तक कम ही पहुचता है,किसी ओर जगह रह जाता है