Tehzeeb Hafi Andaaz E Bayaan Aur Mushaira 2021

Poetry Details:-

Tehzeeb Hafi Andaaz E Bayaan Aur Mushaira 2021-इस पोस्ट में TEHZEEB HAFI की लिखी गयी कुछ गज़ले और शायरियाँ पेश की गयी है,जोकि TEHZEEB HAFI के द्वारा प्रस्तुत की गयी है।

कब पानी गिरने से खुशबू फूटी है
मिट्टी को भी इल्म है बारिश झूठी है
एक रिशते को लापर्वाही ले डूबी
एक रस्सी डीली पड़ने पर टूटी है
हाथ मिलाने पर भी उस पे खुला नही
ये उंगली पर जख्म है या अंगूठी है
उसका हँसना नामुमकिन था युं समझो
सीमेंट की दीवार से कोपल फूटी है
नूह* से पूछो पीछे रह जाने वालो
कशती छूटी है कि दुनिया छूटी है

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इस एक डर से ख्वाब देखता नही
मै जो भी देखता हुँ भूलता नही
किसी मुंडेर पर कोई दिया जला
फिर उसके बाद क्या हुआ पता नही
मै आ रहा था रास्ते मे फूल थे
मै जा रहा हुँ कोई रोकता नही
तेरी तरफ चले तो उम्र कट गयी
ये और बात रास्ता कटा नही
इस अज़दहे की आंख पूछती रहीं
किसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहीं
मै इन दिनो हुँ खुद से इतना बेखबर
मै मर चुका हुँ और मुझे पता नही
ये इश्क भी अजब एक शख्स है
मुझे लगा के हो गया,हुआ नही

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सो रहेगे के जागते रहेगें
हम तेरे ख्वाब देखते रहेगें
तू कहीं और ढ़ूढता रहेगा
हम कही और ही खिले रहेगें
राहगीरो ने राह बदलनी है
पेड़ अपनी जगह खड़े रहेगें
लौटना कब है तूने पर तुझको
आदतन ही पुकारते रहेंगे
सभी मौसम है दस्तरस में तेरी
तूने चाहा तो हम हरे रहेंगे
तुझको छूने के बाद क्या होगा
देर तक हाथ काँपते रहेगे
तुझको पाने में मसअला ये है
तुझको खोने के वस्वसे रहेंगे
तू इधर देख मुझसे बाते कर
यार चश्मे तो फूटते रहेंगे

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