खत सारे तेरे आज जलाने को जी चाहता है-Pardeep Kumar

Poetry Details:-

Breakup Sher-o-Shayariइस पोस्ट मे कुछ शायरियाँ पेश की गयी है जो कि Pardeep Kumar के द्वारा लिखी एवं प्रस्तुत की गयी है ।

नजरो ने ही की थी खता आखिर,दिल को भी था पता आखिर
बहते अशको से ना हो रुसवा अब,मिलनी तो थी ही सजा आखिर


कही भूख से रुसवाई कही रोटी से गिला
दोनो हुये हाजिर तो वक्त ना मिला
हँस रही थी झोपड़ी मुफलिसी मे भी
तन्हा खड़ा रोता रहा वो आलिशां किला


कत्ल कर दिया था जिसने मुझे कभी
वो शख्स मेरी तलाश मे आज फिर से है चला
उसने भी डाला फूल था इक मेरी कब्र पर
मर के ही सही उसके हाथ से गुलाब तो मिला
खुशियाँ तो मेरे घर का पता जानती नही
गम तो अपना यार है खुद ब खुद आयेगा चला
आईने ने कहा महबूब तेरा मेरे जैसा है
है सामने तो साथ है बाद देगा वो भुला


कभी कभी मर जाने को जी चाहता है
फिर याद आती है माँ घर जाने को जी चाहता है
उम्र सारे काट दी हमने आँखो मे अश्क लिये
मौत जब आयी तो मुस्कुराने को जी चाहता है
तेरी यादो की सर्दी बड़ती ही जा रही है
खत सारे तेरे आज जलाने को जी चाहता है

 

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