Na-Maujudgi Teri-ना-मौजूदगी तेरी-Nidhi Narwal

Poetry Details:-

Na-Maujudgi Teri-ना-मौजूदगी तेरीये पोस्ट मे कुछ शायरियाँ और कविता है जिसका शीर्षक है “ना-मौजूदगी तेरी” जो कि Nidhi Narwal के द्वारा लिखा एवं प्रस्तुत किया गया है ।

तुम तन्हाईयाँ बक्शोगे मुझे वो भी मंजूर है
बस कह देना दिल से दी है


चलो धोखा ही था तुम्हारा इश्क,सब झूठ था
तो झूठ अपनी जुबां को कहने देते,
मै खुश थी मुझे धोखे ही मे रहने देते

 

खाली नही है ना-मौजूदगी तेरी,ये भरी हुई है
तेरी हर याद से तुझसे कही थी जो मैने हर उस बात से
जाना भरी हुई है ना-मौजूदगी तेरी किनारो तक तेरे अहसास से
तन्हाई कहाँ है ये कोई,तेरा ख्याल जो दिलो दिमाग पर है
मै अकेली हुँ तन्हा नही,तेरी यादो का हाथ मेरे हाथ पर है
बातें भी करती है मेरी आँखे,अशको के जरिये हर टूटे ख्वाव से
जाना भरी हुई है ना-मौजूदगी तेरी किनारो तक तेरे अहसास से
मेरी जुल्फे नाराज है कि तू कहाँ है?मेरी खुशियाँ उदास है कि तू कहाँ है
अरसा हुआ चाँद खिला नही है मेरे आसमान में,तारो की आवाज है कि तू कहाँ है
माँगती है खबर तेरी,मेरी हालत हर इंसान से
जाना भरी हुई है ना-मौजूदगी तेरी किनारो तक तेरे अहसास से
तू नही था तो पन्नो मे सफर करने गयी,पन्नो के बीच रखा था
तुने दिया था उस गुलाब पर नजर ठहर गयी
अब ना कोई महक है ,ना है कोई नूर इस कमबख्त मे
यू तो इस सूखे गुलाब सा ही है बेजान मेरा दिल
इक बस तेरे नाम है अब भी गुरुर इस कमबख्त मे
जिंदा है सब खोकर भी ये गुलाब ये दिल जाने किस आस से
भरी हुई है ना-मौजूदगी तेरी जाना किनारो तक तेरे अहसास से
इस कमरे का जो ये कोना है याद है मुझे कि जब यहाँ तू क़रीब मेरे आया था
मेरी उंगलियो से अपनी उंगलियाँ उलझाकर मेरी तरफ देख मुस्कुराया था
हौले से मुझे अपनी ओर कर तू लबो को कानो तक लाया था
तू चली गयी तो रह नही पाऊंगा ये कह कर तूने मुझे सीने से लगाया था
अब जो तू नही है तो गूंजता है ये कोना भी,जाना तेरी उस आवाज से
भरी हुई है ना-मौजूदगी तेरी जाना किनारो तक तेरे अहसास से

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