Poetry Details:-
Dekar Dokha Mujhe Tera Gujara Kya Hoga -देकर धोखा मुझे तेरा गुजारा क्या होगा-इस पोस्ट में कुछ शायरियाँ और एक नज्म प्रस्तुत की गयी है ,जो कि Karan Gautam द्वारा लिखा और प्रस्तुत किया गया है।
तुझे सजा भी दूंगा इंतजार कर
बेबजह भी दूंगा इंतजार कर
गुनाह ही इतने किये है तूने
मै कजा भी दूंगा इंतजार कर
बात बात पर मेरी गल्तियाँ गिनवाते हो,पेहले तो ऐसे नही थे
एक एक करके अपनी सारी बातें मनवाते हो,पेहले तो ऐसे नही थे
पेहले मुझे खरोंच भी आने पर ,उफ! किया करते थे तुम
आज मेरे जख्मो पर भी मुस्कुराते हो,पेहले तो ऐसे नही थे
गमे रात बस कट जाये
तमन्ना यही करते है
दर्द बहुत इस दिल मे बट जाये
तमन्ना यही करते है
अरे पढा होगा तुझे बहुतो ने मगर,
हम तो बस तुझे रट जाये
तमन्ना यही करते है
मेरा साथ गवारा नही,कोई बात नही
इस घर मे गुजारा नही,कोई बात नही
पर मै तो तुम्हारा था ना,जिसके बिना तुम रह नही सकते थे
क्या कहा ! मै भी तुम्हारा नही,कोई बात नही …
नजरे झुकायी तो दिन ढला,जुल्फे गिरायी तो रात हुई
तरस रहे थे पंछी बरसात को कब से,उन्होने पायल छनकायी तब बरसात हुई
नसीहत हमे देते है लोग,सलीका सिखाते है जिंदगी जीने का
जिन्हे बोतल ही हमने थमायी थी हाथो में,आज तरीका बताते है शराब पीने का
कोई राज तो छुपा रखा होगा,युंही नही खुद को सजा रखा होगा
वो जो मुझे दिल देने से इंकार था तुम्हारा,अब समझ में आया
किसी और के लिये बचा रखा होगा
देकर धोखा मुझे तेरा गुजारा क्या होगा
मन मर्जी से डूबते को तिनके का सहारा क्या होगा
जिसने इतनी बेरहमी से बेबफाई की है हमसे
वो शक्स कमीना ही होगा बेचारा क्या होगा
पहाडो से एक आवाज आयी थी,ये कहानी दादी ने सुनायी थी
एक परी रहती थी बादलो मे,एक लडका गिना जाता था पागलो में
केहता था बादलो से कोई आने वाला है
जमीन पर उतर कर मेरी सांसो में समाने वाला है
उसे बिना देखे इजहार करता हुँ,कहता था मै उसे खुद से भी ज्यादा प्यार करता हुँ
इतना सब सुनकर परी ने जमीन पर आने की ठानी
माँ ने रोका बाबा ने समझाया पर किसी की एक ना मानी
रात का वक्त, चारो तरफ अंधेरा था,रोशनी के नाम पर बस चाँद का बसेरा था
अब चाँद से याद आया कि चाँद की रोशनी भी तो फीकी पड़ जायेगी
,जब वो उतर कर छत पर मेरी आयेगी
कहानी ने नया मोड़ लिया,परी ने प्यार की खातिर ख्वावो से रिशता तोड़ लिया
कही मै सपना तो नही देख रहा,ये मेरे सामने कौन खड़ा है?
कुछ बोलता क्यो नही,इस तरह चुप्पी साधे मौन खड़ा है
फिर उसने कहा कि माँ बाबा घर बार सब छोड़ दिया मैने बहुत ख्वाव सजाये थे काफी ऊँचा उड़ना था
सब तोड़ दिया मैने
आज से मेरे किस्मत के ताले के चाबी तुम हो
बैचेन से मेरी धड़कन की बेताबी तुम हो
मेरा सुख दुख हँसना रोना सब तुम पर निर्भर करता है
चेहरे के खिलखिलाहट हो या पलके भिगोना सब तुम पर निर्भर करता है
उसके बाद दुनिया बदली वक्त बदला,बदला ये संसार सारा
प्यार की कसमे वादे झुठे निकले,झुठा निकला प्यार सारा
अब मोहब्बत से नही उसे गालियो से पुकारता था
गालियो से बस नही चलता तो कभी हाथो से मारता था
दर्द मे करहाती रोती बिलखती किसे पुकारती वो
अफसोस होता फैसले पर अपने कभी शीशे में खुद को निहारती वो
उसकी कमियाँ निकालता है हर वक्त,कभी तो खुद को खोट दे
इतना ही गुस्सा भरा है तेरे अंदर,कभी तो खुद को चोट दे
मेरी ये नज्म सुनकर मोहब्बत से इंसाफ कर देना
गल्तियाँ इंसान से ही होती है तो तुम मुस्कुरा कर माफ कर देना
