Poetry Details :-
Main Sawarunga Tumhe-मै संवारुगा तुम्हे-इस पोस्ट में इस कविता के अलावा २ और कविताएँ है एक माँ पर लिखी कविता भी है,इन कविताओ को Aryawrites ने लिखा और प्रस्तुत लिया है,Wordsutra यु-टयुब चैनल पर प्रदर्शित किया गया है।
तेरी मोहब्बत मे मैने सब जाना है,तेरी हर बात को बिना कुछ कहे माना है
मन तो मेरा भी है तेरे करीब रेहने का ,मगर मेरी माँ इंतजार कर रही होगी मुझे घर जाना है
उसकी हर हरकत पर नजर है,अखबार की क्या जरूरत
वो तो खुद एक खबर है
इस पर क्या लडना कोन गलत कौन सही
हर एक की अपनी इक नजर है
बोहोत कर लिया इंतजार तेरा,अब तो सब्र भी थक गया है
अब तेरी याद नही आयेगी,क्योकि ये दिल कही ओर लग गया है
पैसो पर आज भी प्यार भारी है
शायरी और नौकरी में तकरार जारी है
ये पैसो वाले हमको अपनी दौलत से क्या तोलेगे
हम तो किसी की वाह के बदले अपनी नज्में बेचा करते है
काम की तलाश में हुँ ,नकारा नही हुँ मै
इस हार की आदत है,अभी हारा नही हु मै
मै बिखरा हु मगर चालाक हु जो मुस्कुराता हुँ
बस एक आइना ही तो है,जिससे नजरे चुराता हुँ
जबाब था मेरा कि इश्क तुमसे हद से ज्यादा है
सवाल था कि महिने के कितने पैसे कमाते हुँ
है नही अब शक्स कोई जो मुझसे भी रूठे
वक्त मिलता जब भी मै खुद का ही दिल दुखाता हुँ
था नाराज खुद से मै,खता क्योकि तुम्हारी थी
हर दफा मै ही जाने क्यु सर झुकाता हुँ
शायर हुँ नया नया कोई मजहब नही मेरा
कभी हिंदी बन जाता हुँ,कभी उर्दु बन जाता हुँ
सिर्फ नजदीक आने को साथ नही केहते
युं नजरे मिलाने को मुलाकात नही केहते
ये जो फक्त सवालो के जबाब देती हो ना तुम
पूछताछ केहते है इसे मेरी जान ,बात नही केहते
दाग दिखाता है कपडो पर अक्सर,मगर धोने नही देता
एक चेहरा है जो मुझे कभी रोने नही देता
मेरे ख्वाव के खातिर माँ ने गेहने बेचे थे
एक वही ख्वाव है जो आज भी मुझे सोने नही देता
टुटे बिखरे ख्वावो का शमशान नजर आता हुँ
देखो तो मुझे अब मै कितना आम नजर आता हुँ
खुद से ज्यादा किसी को किसी की परवाह ना हो
आदमी महज आदमी रहे अच्छा है,दरगाह ना हो
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इतना लडा जमाने से,अब डर गया होगा
हर मोड पर कब्रिस्तान था,वो जिंदा किधर गया होगा
चंद सिक्को के खातिर,बोहोत इंतजार करवाया जिसने
माँ के मरने के बाद वो बेटा घर गया होगा
संभाले रखा पलको पर ख्वाव सालो तक
किसी के आँसुओ के खातिर बिखर गया होगा
नाखुनो के निशां,बेहता लहू और उधड़ा शरीर देखकर
बाप था बेचारा मर गया होगा
हकीमो के पास भी इलाज नही था उसका
वो जख्मो को लेकर अपने कभी इधर गया होगा कभी उधर गया होगा
हँसते हँसते उसकी आवाज काँपने लगी,गम छुपा रहा था
गला भर गया होगा
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जब मिले अल्लाह तो मै केहता हुँ
तुम जिसे गीता केहते हो उसे मै कुरान केहता हुँ
बोहोत बेअदबी से उजाड़ी है ये दुनिया तुमने
अब तुम ही कहो दुनिया इसे मै शमशान केहता हुँ
नकाब कोई चेहरे पर लग कर बोलना
एकदम सच जैसा भरोसा दिला कर बोलना
पूरी दुनिया ये मुझे झूठी लगने लगे
जब झूठ बोलो नजरे मिलाकर बोलना
बार बार तरक्किया गिनाते होगे
सबके बेटे कमाते भी होंगे
एक आपका यकी और कुछ वक्त चाहिये बस
मेरे ख्वाव आँखो से बाहार आते ही होंगे
हुस्न को किसि के ,मैने इश्क हराते हुए देखा है
काजल वाली का प्यार,किसी मेकप वाली को ले जाते देखा है
ऐ तस्वीर थोडी डाँट फटकार लगा देगी क्या
माँ याद आ रही है लोरी सुना देगी क्या
मुद्दतो से पेटभर कुछ खाया नही मैने
खुद भुखी रेह कर ,वो आखिरी निवाला खिला देगी क्या
कुछ सस्ते से कंगन लाया था माँ के लिये
तु पेहन कर इन्हे अनमोल बना देगी क्या
ऐ तस्वीर थोडी डाँट फटकार लगा देगी क्या
अब और नही रहा जा ता इस अकेले कमरे में
मेरी उँगली पकड कर बाजार घुमा देगी क्या
मुझे खुद में मिला कर ऐ तस्वीर
मुझे माँ से मिलवा देगी क्या
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एक रोज मोहब्बत मेरी उस मुकाम पर होगी
मै संवारुगा तुम्हे किसी और के लिऐ
तुम्हारी मेंहदी पर अपने हाथो से
मै नाम किसी और का लिखुंगा
वही लेहंगा पेहनोगी तुम ,जो पसंद करते वक्त
शहर की सारी दुकाने कम पड गयी थी
मगर कुछ घंटो बाद,कोई उतार देगा उसे
मै बांधुंगा तुम्हारी जुल्फो को,ये जानते हुए भी
के रात भर बिस्तर में कोई खेलेगा इन से
तुम्हारी आँखो में काजल लगा कर
मै वादा लुंगा रकीब से,तु इस काजल को कभी मिटने नही देगा
तुम्हारी आँखे सूनी अच्छी नही लगेगी
एक रोज मोहब्बत मेरी उस मुकाम पर होगी